Mokshada Ekadashi (Geeta Jayanti) 2019: मार्गशीर्ष (अगहन) शुक्ल एकादशी को मोक्षदा एकादशी के तौर पर जाना जाता है। मोक्षदा एकादशी के बारे में मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इस दिन को गीता जयंती के तौर पर मनाया जाता है। मोक्षदा एकादशी का व्रत अन्य एकादशी की तुलना में इसलिए खास है क्योंकि इसके प्रभाव से पाप कर्मों से मुक्ति मिल जाती है। इस एकादशी के बारे में धार्मिक मान्यता यह भी है कि इसके प्रभाव से पूर्वजों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। उन्हें मोक्ष प्राप्ति का ज्ञान स्पष्ट किया था। वही गीता हिंदू धर्म में पवित्र ग्रंथ और उपदेश के तौर पर स्थापित हो गया। इसीलिए आज के दिन गीता जयंती (gita jayanti 2019) के तौर पर भी मनाते हैं।

मोक्षदा एकादशी व्रत-विधि: मोक्षदा एकादशी व्रत करने के लिए व्रती को दशमी तिथि एक समय (दोपहर में) भोजन कर लेना चाहिए। इस व्रत में दशमी तिथि रात्रि में भोजन नहीं किया जाता है। एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान के पश्चात व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा करनी चाहिए। एकादशी के दिन रात्रि काल में जागरण करना अच्छा माना गया है। एकादशी के अगले दिन यानि द्वादशी को स्नान और पूजा के बाद ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देना चाहिए।

मोक्षदा एकादशी शुभ मुहूर्त

दृक पंचांग के मुताबिक एकादशी तिथि की शुरुआत 07 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 34 मिनट से हो रही है। जबकि एकादशी तिथि की समाप्ति 08 दिसंबर को सुबह 09 बजकर 29 मिनट पर होगी। वहीं एकादशी के लिए पारण का समय 09 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 02 मिनट से लेकर 09 बजकर 07 मिनट तक है।

कथा

एक समय किसी स्थान पर वैखानस नामक राजा था। राजा को एक दिन स्वप्न आया कि उसका पिता नरक में है। स्वप्न में पिता की इस दशा को देखकर राजा चिंतित हो उठा। जिसके बाद राजा ने अपने राज्य के ब्राह्मणों को बुलकर अपने स्वप्न के बारे में पूछा। जिस पर ब्राह्मणों ने कहा कि इस बारे में पर्वत मुनि के आश्रम में जाकर पिता की आत्मा की शांति का उपाय पूछें। इसके बाद राजा ने पर्वत ऋषि से अपने पिता के उद्धार के बारे में पूछा। ऋषि ने राजा से कहा कि पूर्व जन्म के कर्मों के कारण ही नरक वास मिला है। नरक से मुक्ति के उपाय के बारे में ऋषि ने कहा- “मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत रखें। जिसके प्रभाव से आपके पिता को नरक से मुक्ति मिल जाएगी।”