हिन्दू धर्म के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान निकले हुए अमृत को राक्षसों से बचाने के लिए इसी दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था और समस्त देवताओं को अमृतपान कराया था। इसीलिए हिन्दू धर्म और शास्त्रों में इसे बहुत ही पावन और फलदायी माना गया है। बता दें कि हिन्दू पंचांग के अनुसार, वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा की जाती है तथा एकादशी का व्रत किया जाता है।
मोहिनी एकादशी के दिन ये कार्य नहीं करने चाहिए: शास्त्रों के अनुसार एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा मोहिनी एकादशी के दिन तुलसी के पत्तों को तोड़ना वर्जित है। बल्कि इस दिन तुलसी के पौधे में दीपक जलाना चाहिए। इस दिन भूलकर भी दिन में नहीं सोना चाहिए साथ ही तामसिक भोजन के सेवन से परहेज करना चाहिए और मसूर, चना, उड़द, पालक, गोभी, गाजर, शलजम आदि भी नहीं खाना चाहिए।
मोहिनी एकादशी तिथि एवं व्रत मुहूर्त
दिनांक: 12 मई, 2022, गुरुवार
महीना: वैशाख, एकादशी
पक्ष: शुक्ल पक्ष
पारण मुहूर्त: सुबह 05:31:52 से 08:14:09 तक (13 मई, 2022)
अवधि: 2 घंटे 42 मिनट
मोहिनी एकादशी के दिन करें ये ज्योतिषीय उपाय:
शास्त्रों के अनुसार घर में सुख शांति के लिए मोहिनी एकादशी के दिन तुलसी के पौधे के नीचे गाय के घी का एक दीपक जलाएं और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करते हुए 11 बार परिक्रमा करना चाहिए।
मोहिनी एकादशी के दिन आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए भगवान नारायण का शंख से अभिषेक करें तथा माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान नारायण और मां लक्ष्मी ख़ुश होते हैं और सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही इस दिन तुलसी की माला से 108 बार “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मोहिनी एकादशी के दिन भगवान नारायण और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी काम में सफलता मिलती है। यदि आपको अपने प्रयासों में अक्सर असफलता मिलती है तो साथ ही दक्षिणावर्ती शंख का भी पूजन करें। इसके बाद भगवान विष्णु को पीले फूल, पीले फल, पीले वस्त्र और पीले अनाज चढ़ाएं और बाद में ये सब चीज़ें दान कर दें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मोहिनी एकादशी के दिन ऋण या कर्ज़ से मुक्ति पाने के लिए पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और घी का दीपक/दीया जलाएं। भगवान नारायण का स्मरण करते हुए 7 बार पीपल के वृक्ष की परिक्रमा लगाएं। साथ ही श्रीमद्भागवत का पाठ करने से मनुष्य के जीवन में मौजूद सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं।