Mauni Amavasya Puja Vidhi: माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। इस बार ये अमावस्या कल यानी 11 फरवरी को है। मान्यता है कि इसी दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था, मनु से ही मौनी शब्द की उत्पत्ति हुई है। साथ ही, कई पौराणिक ग्रंथों में इस बात का जिक्र भी मिलता है कि इस दिन मौन धारण करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है, इसलिए इस अमावस्या का नाम मौनी अमावस है। विद्वान मानते हैं कि इस दिन स्नान-दान के साथ ही ध्यान करने से भक्तों को लाभ होता है। वहीं, अमावस्या के दिन पितृ तर्पण करने से भी लोगों पर विशेष कृपा बनी रहती है।
क्या है शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक 10 फरवरी को रात 1 बजकर 10 मिनट से 11 फरवरी रात 12 बजकर 36 मिनट तक, अमावस्या की तिथि रहेगी। कई लोग इस दिन मौन व्रत धारण करते हैं, हालांकि हर किसी के लिए ये संभव नहीं है। ऐसे में विद्वान मानते हैं कि अगर कोई व्यक्ति इस दिन सवा घंटे के लिए भी मौन रहता है, तो इससे मन-मस्तिष्क नियंत्रित रहता है। साथ ही, शरीर को नई ऊर्जा मिलती है और व्यक्ति के रोगमुक्त होने की भी मान्यता है।
बन रहे हैं शुभ संयोग: विद्वानों का मानना है कि गुरुवार के दिन अमावस तिथि पड़ने से इसका महत्व और भी अधिक हो गया है। इस दिन ध्वज योग रहेगा, जिसमें पूजा-पाठ और स्नान-दान करने से सम्मान व स्वास्थ्य में बरकत मिलने की मान्यता है। साथ ही, इस दिन महोदय योग बन रहा है।
पितृ तर्पण के लिए क्या करें: ज्योतिषियों के मुताबिक मौनी अमावस्या के दिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पितृ तर्पण करने क विधान है। इस दिन पीपल के पेड़ में जल डालें, माना जाता है कि ऐसा करने से पितरों की विशेष कृपा मिलती है। इसके अलावा, मान्यता है कि पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए जल में लाल फूल और काले तिल लें। पितरों को स्मरण करते हुए सूर्यदेव को ये जल चढ़ाएं।
इस दिन पितरों के लिए भोजन बनाएं जिसमें पहला भोजन गाय को दूसरा कुत्ते को और तीसरा कौअे को दें। मान्यता है कि पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए ऐसा करना भी लाभकारी होगा।
क्या न करें: मान्यता है कि इस दिन प्रातः अधिक समय बिस्तर पर न पड़े रहें। अमावस्या के दिन घर में क्लेश न करें, खासकर व्रती को इस दिन आपा न खोने की सलाह दी जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि जिस घर में मौनी अमावस्या के दिन अशांति होती है, वहां पितृ देवता की कृपा नहीं पहुंचती है।