हिंदू धर्म में दुर्गा पूजा और दुर्गाष्टमी का महत्व होता है। दुर्गापूजा आश्विन माह में मुख्य रुप से किया जाता है, लेकिन मासिक दुर्गाष्टमी प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। हर मास आने के कारण इसे मासिक दुर्गाष्टमी और मास दुर्गाष्टमी के नाम से जाना जाता है। मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सारे भक्तगण माता दुर्गा की पूजा अर्चना और व्रत श्रद्धापूर्वक करते हैं। मान्यता है कि भक्त मनोवांछित फल को प्राप्त करने या जीवन की परेशानियों का समाधान करने के लिए माता दुर्गा की पूजा करते हैं।
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार एक समय दुर्गम नाम का राक्षस हुआ करता था। दुर्गम एक क्रूर राक्षस था, जिसके डर तीनों लोकों में फैल गया था। ये वही समय था जब भगवान विष्णु, ब्रह्मा और भगवान शिव की शक्ति से माता दुर्गा उत्पन्न हुई जिन्हें दुर्गा या दुर्गसैनी के नाम से जाना जाता है। मासिक दुर्गाष्टमी के दिन माता का दर्शन करके सभी देव गण और तीनों लोकों के स्वामी ने हाथ जोड़कर माता की स्तुति का पाठ किया। माता दुर्गा ने दुर्गम नाम के राक्षस का वध कर दिया। दुर्गम राक्षस का वध करने के बाद माता दुर्गा को दुर्गसैनी कहा जाने लगा।
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा धूप, दीप से की जाती है और माता की आरती के बाद जयकारा लगाया जाता है। इस वर्ष माघ माह के नवरात्रि की अष्टमी होने के कारण इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है। माना जाता है कि माता दुर्गा के व्रत से भक्त का हर संकट दूर होता है। नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी का होता है। इस दिन महगौरी के रुप की तुलना शंख, चंद्रमा और चमेली से की जाती है। इस रुप में महागौरी एक मासूम बालिका के रुप में दिखती हैं और अपने भक्तों पर शांति और दया की कृपा करती हैं। इस दिन माता के चारों हाथ आशीर्वाद और वरदान देने की मुद्रा में होते हैं।


