22 दिसंबर, दिन शनिवार को मार्गशीर्ष पूर्णिमा है। इस दिन स्नान, दान और ध्यान शुभ फलदायी होता है। मार्गशीष पूर्णिमा पर श्री हरि विष्णु और भगवान शंकर की आराधना की जाती है। साथ ही इस दिन चंद्रमा की पूजा को अनिवार्य माना गया है। बता दें कि पूर्णिमा तिथि को पूर्णत्व की तिथि कहा जाता है। क्योंकि इस तिथि को चंद्रमा सम्पूर्ण होता है। साथ ही सूर्य और चंद्रमा समसप्तक होते हैं। ऐसी मान्यता है कि पूर्णिमा पर जल और वातावरण में विशेष ऊर्जा आ जाती है। कहते हैं कि पूर्णिमा के दिन पृथ्वी और जल तत्व को चंद्रमा पूर्ण रूप से प्रभावित करता है। इस तिथि पर चंद्रमा ही स्वामी होता है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन व्रत किया जाता है और भगवान सत्यानारायण की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा सुनना और पढ़ना शुभ माना गया है। भगवान नारायण की पूजा धूप, दीप, अगरबत्ती से पूजा की जाती है। भगवान विष्णु का प्रिय भोग चूरमा होता है। विष्णु जी को इसका भोग लगाया जाता है। पूजा के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है। लोग ब्रह्मणों को दान-दक्षिणा देते हैं। माना जाता है इस दिन जो व्रत करता है उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान विष्णु पूरी करते हैं।
इस बार की मार्गशीर्ष पूर्णिमा बेहद खास मानी जा रही है। ज्योतिष के मुताबिक, इस बार चंद्रमा अपनी सबसे मजबूत स्थिति में होगा। साथ ही बृहस्पति चंद्रमा का गजकेसरी योग भी बन रहा है। इसके अलावा इस बार शुक्र भी स्वगृही होगा। शुक्र को सुख बढ़ाने वाला ग्रह माना जाता है। इस योग से आर्थिक लाभ होने की बात कही जा रही है। माना जाता है कि इस दिन चंद्र देव की पूजा करने से चंद्र ग्रह के दोषों से मुक्ति मिलती है। इस दिन चंद्र ग्रह के क्रूर प्रभाव से बचने के लिए कन्या और परिवार की सभी स्त्रियों को वस्त्र देने चाहिए।


