Mamaleshwar Temple in Pahalgam: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई। इस दिल दहला देने वाली घटना से पूरा देश सदमे में है। आतंकवादियों ने पहलगाम की बैसारन वैली में हिंदू पुरुषों को टारगेट किया, उन्हें कलमा पढ़ने को कहा और बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया। यह कोई पहली बार नहीं है जब कश्मीर की धरती पर ऐसी बर्बरता देखी गई हो। इससे पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं देखी जा चुकी हैं। लेकिन इस डर और दहशत के माहौल के बीच हम आपको उस पहलगाम की एक पवित्र पहचान के बारे में बताने जा रहे हैं, जो शांति, आस्था और धार्मिकता का प्रतीक रहा है। स्वर्ग जैसा दिखने वाले इस जगह पर भगवान शिव से जुड़े कई मंदिर है। इन्हीं में से एक ममलेश्वर मंदिर है। ऐसे में आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाएं…

पहलगाम की धार्मिक पहचान

पहलगाम कश्मीर घाटी का एक बेहद खूबसूरत स्थान है जिसे अक्सर धरती का स्वर्ग कहा जाता है। लेकिन यह जगह सिर्फ अपनी सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि धार्मिक मान्यताओं के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां कई मंदिर और तीर्थस्थल हैं, जो भगवान शिव और उनके परिवार से जुड़े हैं। इन्हीं में से एक है ममलेश्वर मंदिर, जिसे स्थानीय लोग ‘मम्मल मंदिर’ भी कहते हैं। ममलेश्वर मंदिर पहलगाम गांव में स्थित है और यह कश्मीर घाटी के सबसे पुराने और प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में लोहरा वंश के राजा जयसिंह ने करवाया था। उन्होंने मंदिर की छत पर सोने का कलश भी चढ़वाया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और हर साल हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।

इस मंदिर में दो सुंदर नंदी की मूर्तियां हैं और इसके अंदर एक शिवलिंग स्थापित है। शिवलिंग के पास एक प्राकृतिक जल स्रोत भी है, जिसका पानी एक छोटे से कुंड में इकट्ठा होता है। इस मंदिर को ‘मम्मल मंदिर’ भी कहा जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कहानी है। ‘मम’ का मतलब होता है ‘मत’ और ‘मल’ का अर्थ ‘जाना’ — यानी ‘मत जाओ’। यह नाम सुरक्षा और संरक्षण का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान गणेश को इस मंदिर के द्वार पर खड़ा किया था ताकि कोई अंदर न जा सके। कुछ किंवदंतियों के अनुसार, यहीं पर भगवान शिव ने क्रोधित होकर भगवान गणेश का सिर काट दिया था

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाएं…

इस मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। इन्हीं में से एक लोकप्रिय कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान गणेश को यहां द्वारपाल के रूप में नियुक्त किया था और किसी को भी अंदर जाने से मना किया था। जब गणेश जी मंदिर के द्वार पर खड़े थे, तभी भगवान शिव वहां आए और अंदर जाने लगे। लेकिन गणेश जी ने उन्हें रोक दिया। इससे नाराज होकर शिवजी ने गणेश का सिर काट दिया। जब माता पार्वती ने यह देखा, तो उन्होंने क्रोध में आकर कहा कि गणेश तो उनके और शिव के पुत्र हैं। तब शिवजी ने उन्हें जीवित करने के लिए हाथी का सिर लगाकर पुनः जीवन दिया। यही वजह है कि यह स्थान शिव और गणेश दोनों के भक्तों के लिए पूजनीय है। यह स्थान भगवान गणेश के पुनर्जन्म से भी जुड़ा हुआ माना जाता है, और इसे धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

पहलगाम का ममलेश्वर मंदिर शिव भक्तों के लिए है बेहद खास

अमरनाथ यात्रा से जुड़ा एक अहम पड़ाव

अमरनाथ यात्रा की शुरुआत पहलगाम से होती है, और इसी मार्ग में ममलेश्वर मंदिर भी आता है। इसलिए यात्रा पर निकलने वाले भक्त पहले इस मंदिर के दर्शन करते हैं ताकि उनकी यात्रा शुभ और सफल हो।

शिव-पार्वती के मिलन का प्रतीक स्थल

एक और मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने यहीं तप कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इसलिए यह मंदिर विवाह योग, प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। यहां आने वाले कई श्रद्धालु दांपत्य जीवन में सुख और प्रेम की कामना करते हैं।

खास विशेषताएं और अद्भुत नजारे

मंदिर की सबसे खास बात इसकी दो मुखों वाली नंदी की मूर्ति है, जो इसे अन्य शिव मंदिरों से अलग बनाती है। इसके अलावा मंदिर के पास बहती लिद्दर नदी और चारों तरफ की हरियाली मन को शांति देती है। यहां एक जल-कुंड भी है, जिसे विशेष रूप से पवित्र माना जाता है।

पर्वों पर विशेष आयोजन

महाशिवरात्रि और श्रावण मास में इस मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इन अवसरों पर विशेष पूजा, भंडारा और रात्रि जागरण का आयोजन किया जाता है। इस दौरान हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं, जिससे इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

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