Makar Sankranti 2024 Date, Shubh Muhurat Snan Daan  Ka Samay Kab Ka Hai: देशभर में मकर संक्रांति का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 को मनाई जा रही है, क्योंकि सूर्य मकर राशि में 1 जनवरी को सुबह 2 बजकर 54 मिनट पर प्रवेश कर रहे हैं। इसके साथ ही इस साल की मकर संक्रांति काफी खास है। बता दें कि इस साल मकर संक्रांति सोमवार के दिन पड़ रही है ऐसा संयोग करीब 5 साल बाद बन रहा है। इसके साथ ही इस दिन वरियान योग भी बन रहा है, जो करीब 77 सालों के बाद बन रहा है। मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करने के साथ-साथ दान करना पुण्यकारी माना जाता है। इसके साथ-साथ सूर्यदेव की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त, स्नान-दान का समय से लेकर सूर्यदेव की पूजा विधि।

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मकर संक्रांति 2024 का समय

15 जनवरी 2024 को सूर्य मकर राशि में तड़के 02 बजकर 54 मिनट पर प्रवेश कर जाएंगेष। इसके बाद अपने पुत्र की राशि में पूरे एक माह विराजमान रहेंगे। इसके बाद कुंभ राशि में चले जाएंगे।

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मकर संक्रांति 2024 स्नान और दान का शुभ समय

मकर संक्रांति पर स्नान और दान का शुभ समय महा पुण्य काल में सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 09 बजे तक है। इसके साथ ही ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05 बजकर 27 मिनट से सुबह 06 बजकर 21 मिनट तक है।

मकर संक्रांति का पुण्य काल सुबह 07 बजकर 15 मिनट से शाम 05 बजकर 46 मिनट तक है।

मकर संक्रांति पर 77 साल बाद बना ये संयोग

इस साल की मकर संक्रांति काफी खास है, क्योंकि इस दिन रवि योग के साथ वरियान योग रहेगा। बता दें कि रवि योग  सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 07 मिनट तक है। इसके साथ ही वरियान 14 जनवरी को रात 2 बजकर 40 मिनट से लेकर 15 जनवरी की रात 11 बजकर 10 मिनट तक है। माना जा रहा है कि मकर संक्रांति पर वरियान योग करीब 77 साल के बाद बना है।

मकर संक्रांति 2024 पर ऐसे करें सूर्य पूजा

मकर संक्रांति पर सुबह उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। हो सके तो किसी पवित्र नदी में स्नान कर लें या फिर घर पर ही नहाने वाले पानी में गंगाजल और तिल डालकर नहा लें। नहाने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें।

अब एक तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, लाल फूल, अक्षत डालकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय ‘ऊँ सूर्याय नम:’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद घी का दीपक और धूप दिखाकर आरती करें। इसके साथ ही सूर्य चालीसा, आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। अंत में भास्कर देव से सुख-समृद्धि, उज्जवल भविष्य की कामना करें।

डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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