Makar Sankranti 2018: मकर संक्रांति हिंदुओं का प्रमुख पर्व माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह में जब सूर्य मकर राशि में आता है तब ये पर्व मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार ये पर्व जनवरी के चौदहवें या पंद्रहवें दिन आता है, इसी समय सूर्य धनु रशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रारंभ होती है। भारत के कई स्थानों पर इसे उत्तरायणी के नाम से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति का पर्व इस वर्ष 14 जनवरी को है। ज्योतिषों के अनुसार मकर संक्रांति पर इस बार विशेष योग बन रहा है। कई लोगों को संक्रांत की तिथि को लेकर उलझन है, इस परेशानी का कारण ज्योतिष शास्त्र में की गई गणना है। माना जाता है कि सूर्य को धनु से मकर राशि में आने में का 20 मिनट समय बढ़ जाता है। जिससे कई सालों बाद सूर्य एक दिन बाद गोचर करता है। इसी कारण से संक्रांत की तिथि को लेकर उलझन बनी रहती है।

मकर संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान और दान करके पुण्य कमाने का महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। कई स्थानों पर इस दिन मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए खिचड़ी दान करने की परंपरा भी माना जाती है। मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ा का प्रसाद बांटा जाता है। कई स्थानों पर पतंगे उड़ाने की परंपरा भी है। इस पर्व को पूरे भारत में विभिन्न रुपों में मनाया जाता है। उत्तर भारत के पंजाब और हरियाणा में इसे लोहड़ी के रुप में मनाया जाता है। इसी के साथ तमिलनाडु में इस प्रमुख रुप से पोंगल के नाम से जाना जाता है।

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मकर संक्रांति के दिन गंगास्नान का महत्व माना जाता है। पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम स्थल प्रयाग में माघ मेला लगता है और संक्रांत के स्नान को महास्नान कहा जाता है। इस दिन हुए सूर्य गोचर को अंधकार से प्रकाश की तरफ बढ़ना माना जाता है। माना जाता है कि प्रकाश लोगों के जीवन में खुशियां लाता है। इसी के साथ इस दिन अन्न की पूजा होती है और प्रार्थना की जाती है कि हर साल इसी तरह हर घर में अन्न-धन भरा रहे।