Mahavir Jayanti 2022: महावीर जयंती जैन समुदाय का सबसे बड़ा पर्व में से एक है। जैन ग्रंथों के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को जैन समाज के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म हुआ था, जिस कारण जैन धर्म के लोग इस दिन को उनके जन्मदिवस के रूप में धूमधाम से मनाते हैं। इनकी माता का नाम त्रिशला और पिता सिद्धार्थ थे। भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। साथ ही उनका 30 वर्ष की आयु में आध्यात्म की ओर झुकाव हुआ, वे राजपाट छोड़कर तप करने लगे थे। आपको बता दें कि इस बार महावीर जयंती 14 अप्रैल गुरुवार के दिन मनाई जायेगी। आइए जानते हैं महावीर जयंती की तिथि, मुहूर्त एवं महत्व के बारे में…
आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त:
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 14 अप्रैल दिन गुरुवार को सुबह 04:48 बजे शुरु होगी और इसका समापन 15 अप्रैल दिन शुक्रवार को सुबह 03:54 बजे होगा। ऐसे में महावीर जयंती 14 अप्रैल को मनाई जाएगी। आपको बता दें कि इस साल महावीर स्वामी का 2620वां जन्म दिवस मनाया जाएगा।
कौन थे भगवान महावीर:
भगवान महावीर ने अहिंसा परमो धर्म का संदेश दुनिया भर में फैलाया। इनके बचपन का नाम वर्धमान था। इनका जन्म 599 ईसवीं पूर्व बिहार में लिच्छिवी वंश के महाराज सिद्धार्थ और महारानी त्रिशला के घर हुआ। वर्धमान ने ज्ञान की प्राप्ति के लिए महज तीस साल की उम्र में राजमहल के सुखों का त्याग कर दिया था उसके बाद उन्होंने तपोमय साधना का रास्ता अपना लिया था। माना जाता है कि उन्होंने 12 वर्षों की कठोर तप कर अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली थी। इसलिए उन्हें महावीर के नाम से पुकारा गया।
जानिए महावीर स्वामी के क्या थे सिद्धांत:
महावीर स्वामी का सबसे बड़ा सिद्धांत अहिंसा का रहा। इसलिए उन्होंने अपने प्रत्येक अनुयायी के लिए अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के पांच व्रतों का पालन करना आवश्यक बताया है। इन सभी व्रतों में अहिंसा की भावना सम्मिलित है। इसी कारण जैन विद्वानों का प्रमुख उपदेश होता है ‘अहिंसा ही परम धर्म है। अहिंसा ही परम ब्रह्म है। अहिंसा ही सुख शांति देने वाली है। अहिंसा ही संसार का उद्धार करने वाली है। यही मानव का सच्चा धर्म है. यही मानव का सच्चा कर्म है।’
मंदिरों में ऐसे मनाई जाती है महावीर जयंती:
महावीर जयंती के दिन जैन मंदिरों में महावीर जी की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है। इसके बाद मूर्ति को एक रथ पर बिठाकर सड़कों पर इसका जुलूस निकाला जाता है। इस जुलूस में जैन धर्म के अनुयायी बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। वैसे तो ये पर्व पूरे भारत में जैन समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है। लेकिन इसकी खास रौनक गुजरात और राजस्थान में देखने को मिलती है। क्योंकि इन राज्यों में जैन धर्म को मानने वालों की तादाद अच्छी खासी है।
