Mahashivratri 2024 Rudrabhishek Vidhi: भगवान शिव की विशेष कृपा पाने और कुंडली में हर एक दोष से छुटकारा पाने के लिए अभिषेक के अलावा रुद्राभिषेक किया जाता है। वैसे तो रुद्राभिषेक आप कभी भी कर सकते हैं। लेकिन महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक कराने का कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है। शिवपुराण के रुद्र संहिता में इस बात का जिक्र करते हुए कहा गया है कि महाशिवरात्रि , सावन सोमवार, शिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आमतौर पर रुद्राभिषेक पंडित से कराते हैं। लेकिन आप चाहे, तो स्वयं ही महाशिवरात्रि के मौके पर रुद्राभिषेक कर सकते हैं। रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती हैं और हर दुख-दर्द से निजात मिल जाती है। जानें घर पर कैसे करें रुद्राभिषेक, साथ ही जानें सामग्री।
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रुद्राभिषेक का महत्व (Importance Of Rudrabhishek)
रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति को हर तरह के दुखों से मुक्ति मिल जाती है। शास्त्रों में लिखा है ‘रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:’ अर्थात शिव हर दुख को हरकर उनका नाश कर देते हैं। इसके अलावा ‘सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:’ अर्थात सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र से संबंधित हैं। इसलिए रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति को हर तरह के दुख-दर्द, रोग-दोष से निजात मिल जाती है।
रुद्राभिषेक की सामग्री (Rudrabhishek Samagri)
इस पूजम के लिए शुद्ध जल, गाय का घी, दीपक, श्रृंगी (पीतल या अन्य धातु से बना), तेल, बाती, फूल, सिन्दूर, पान, सुपारी, नारियल, गन्ने का रस, अनार का रस,शहद, गुलाब जल, चंदन का लेप, धूप, कपूर, अगरबत्ती, सफ़ेद फूल, बेल पत्र, दूध, गंगा जल, बेलपत्र, मिठाई, मेवा, पंचामृत, मौली, धतूरा, भांग, आक के फूल आदि एकत्र कर लें।
रुद्राभिषेक की विधि (Rudrabhishek Vidhi)
सबसे पहले एक वेदी में पीला या लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी, शिव जी और माता पार्वती के साथ कार्तिकेय की तस्वीर स्थापित कर लें। इसके साथ ही मिट्टी या फिर पूजा घर में रखा हुआ शिवलिंग स्थापित करें। इसके साथ ही नवग्रह भी एक चौकी में बना लें। सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। इसके बाद शिव जी, पार्वती, कार्तिकेय जी से साथ नौ ग्रह की पूजा कर लें। इसके बाद रुद्राभिषेक आरंभ करें। सबसे पहले शिवलिंग उत्तर दिशा में रखें और आपका मुख पूर् दिशा की ओर हो।
अब श्रृंगी के द्वारा शिवलिंग का गंगाजल डालकर अभिषेक करें। इसके बाद गन्ने का रस, दूध, दही, शहद आदि से अभिषेक करें। अंत में फिर जल या गंगाजल से अभिषेक करें। अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र, शिव तांडव स्तोत्र, ऊँ नम: शिवाय मंत्र या फिर रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करते रहें।
अब भगवान शिव को भस्म लगाने के साथ चंदन का त्रिपुंड लगाएं। इसके बाद बेलपत्र, सुपारी, पान का पत्ता, धतूरा, आक का फूल आदि चढ़ा दें।
शिव जी को भोग लगाने के साथ शिव मंत्र का जाप करते रहें।
फिर अभिषेक के बाद घी का दीपक और धूप जलाकर आरती आदि करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
रुद्राभिषेक के दौरान करें इस मंत्र का जाप (Rudrabhishek Mantra)
ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥
ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति ब्रह्मा शिवो
मे अस्तु सदाशिवोय् ॥
तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः
॥
वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः॥
सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः ॥
नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम:॥
यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्यो खिलं जगत् ।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम्॥
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा
मृतात्।।
सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु । पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥
विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत् । सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय
नमो अस्तु ॥