कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन (Lockdown) में कई पुराने धार्मिक सीरियल फिर से टेलिकास्ट किये गये। जिनमें रामायण (Ramayan) और महाभारत (Mahabharat) सीरियल्स को लोगों ने खूब पसंद किया और इससे लोगों की पौराण‍िक कथाओं की तरफ दिलचस्‍पी भी काफी बढ़ गई। यहां हम बात करेंगे DD Bharti पर आई महाभारत की जिसकी अब समाप्ति हो चुकी है। ‘महाभारत’ की कहानी सिर्फ युद्ध तक सीमित नहीं है। इसमें कई ‘श्राप’ ने भी अहम भूमिका निभाई थी। यहां बात करेंगे ऐसे ही 10 श्राप की…

अम्बा का भीष्म को दिया श्राप: भीष्म को इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था। जिस कारण उन्हें कोई भी हरा नहीं सकता था। माता सत्यवती की आज्ञा का पालन करते हुए भीष्म ने बलपूर्वक काशीराज की 3 पुत्रियों को सत्यवती और शांतनु पुत्र विचित्रवीर्य से विवाह कराने के लिए जीत लिया। अम्बा ने भीष्म को बताया कि वे राजा शाल्व से प्रेम करती हैं। यह सुनकर भीष्म ने उन्हें वापस भेज दिया। अंबा जब शाल्व के पास गईं तो उसने यह कहकर उन्हें ठुकरा दिया कि वह दान में मिली अंबा को स्वीकार नहीं कर सकता। अपमानित अंबा ने भीष्म से विवाह करने का प्रस्ताव रखा लेकिन ब्रह्मचारी रहने का वचन ले चुके भीष्म ने अंबा को स्वीकार नहीं किया। इससे क्रोधित होकर अग्नि में जलती अंबा ने कहा कि वह भीष्म की मृत्यु का कारण बनेगी।

भीष्म को पिछले जन्म का मिला श्राप: एक बार ‘द्यु’ नाम के वसु ने वशिष्ठ ऋषि की कामधेनु गाय का हरण कर लिया। जिसमें उसका साथ बाकी सभी वसुओ ने भी दिया। वशिष्ठ ऋषि ने क्रोधित होकर द्यु से कहा कि ऐसा काम तो मनुष्य करते हैं, इसलिए तुम आठों वसु अब मनुष्य हो जाओगे और कष्ट भोगोगे। जब सब वसुओं ने क्षमा मांगी तब उन्होंने कहा कि 7 वसु मनुष्य योनि से तुरंत मुक्त हो जायेंगे। लेकिन ये ‘द्यु’ नामक वसु मनुष्य बनकर आजीवन कष्ट भोगेगा। इसी श्राप के कारण गंगा ने अपने 7 पुत्रों को तुरंत मनुष्य योनी से मुक्त करा दिया लेकिन उनके और शांतनु के आठवें पुत्र को जीवन भर कष्ट भोगने पड़े।

परशुराम ने दिया कर्ण को श्राप: महाभारत में कर्ण एक महान योद्धा थे। जिन्हें हरा पाना लगभग असंभव था। महायुद्ध में कर्ण ने कौरवों की तरफ से युद्ध लड़ा था। युद्ध भूमि में जब कर्ण और अर्जुन के बीच में युद्ध चल रहा था तो कर्ण अपने ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल नहीं कर पाये थे। इसका कारण है भगवान परशुराम द्वारा दिया गया श्राप। परशुराम ने शपथ ली थी कि वह धनुरविद्या सिर्फ एक ब्राह्मण को ही सिखाएंगे। कर्ण ने उनसे शिक्षा लेने की लालसा में झूठ कहा कि वो ब्राह्मण हैं। लेकिन जब परशुराम को इस बात का पता चला तो उन्होंने कर्ण को श्राप दिया कि जब भी तुम्हें इस विद्या की सबसे अधिक आवश्यकता होगी तब तुम इसे भूल जाओगे।

अश्वत्थामा को श्रीकृष्ण द्वारा दिया श्राप: द्रोण पुत्र अश्वत्थामा भी बहुत वीर थे। जन्म से प्राप्त हुई तीसरी आंख के कारण वह अजर था। युद्ध भूमि में अपने पिता की मृत्यु देख वह क्रोध से भर गया और उसने पांडवों के पांचों पुत्रों की हत्या कर दी और ब्रह्मास्त्र से लाखों लोगों का वध भी किया। क्रोधित होकर भगवान कृष्ण ने उसकी तीसरी आंख नष्ट कर दी और श्राप दिया तू 3000 वर्ष तक निर्जन स्थानों पर भटकता रहेगा। तेरे शरीर से रक्त की दुर्गंध आती रहेगी और अनेक रोगों से पीड़ित रहेगा।

दुर्योधन को मिला श्राप: महर्षि मैत्रेय एक बार हस्तिनापुर गए थे। तब कौरवों के पिता धृतराष्ट्र ने उनसे वन में रह रहे पांचों पांडव की कुशलता पूछी। महर्षि ने कहा, ‘वे कुशल हैं, किंतु मैंने सुना कि आपके पुत्रों ने पांडवों को जुए में धोखे से हराकर वन भेज दिया?’ महर्ष‍ि ने दुर्योधन से भी कहा- तुम जानते हो पांडव कितने वीर और शक्तिशाली हैं? इस पर दुर्योधन को गुस्‍सा आया और उसने अपनी जांघ पर हाथ से ताल ठोंक दी। दुर्योधन की इस हरकत से महर्षि मैत्रेय ने क्रोधित होकर श्राप दिया, ‘तू मेरा तिरस्कार करता है। जा उदंडी जिस जंघा पर तू ताल ठोंक रहा है, उस जंघा को भीम अपनी गदा से तोड़ देगा।’

 

पांडु की मृत्यु का कारण बना श्राप: पांडु अपनी दोनों पत्नियों कुंती और माद्री के साथ वन में भ्रमण कर रहे थे कि तभी उन्हें एक मृग दिखा। उनकी पत्नी माद्री ने उस मृग को पाने की इच्छा जताई। पांडु ने तुरंत मृग पर बाण चला दिया। ये बाण ऋषि किंदम को जाकर लगा जो अपनी पत्नी के साथ वन में प्रेम आलाप कर रहे थे। ऋषि ने तब प्राण त्‍यागते हुए पांडु को शाप दिया कि तुम भी मेरी तरह मरोगे, जब तुम संभोग कर रहे होंगे।

उर्वशी ने अर्जुन को दिया श्राप: एक बार जब अर्जुन इन्द्र की सभा में थे। तो उनसे मोहित होकर उर्वशी नाम की अप्सरा ने विवाह करने की इच्‍छा जाहिर की। अर्जुन ने उर्वशी को मां समान बताया और निवेदन ठुकरा दिया। तब उर्वशी ने क्रोधित होकर अर्जुन को 1 वर्ष तक नपुंसक होने का शाप दे दिया। इस श्राप को अर्जुन ने 1 साल के अज्ञात वास के दौरान भोगा।

द्रौपदी ने घटोत्कच को दिया था श्राप: कहा जाता है कि भीम पुत्र घटोत्कच जब पहली बार अपने पिता भीम के राज्य में आया तो उसने द्रौपदी का सम्‍मान नहीं किया। द्रौपदी इस अपमान को बर्दाश्‍त नहीं कर सकीं। उन्‍होंने घटोत्‍कच को श्राप दे दिया, ‘दुष्ट तूने अपनी दुष्ट राक्षसी मां के कहने पर बड़ों, ऋषियों और राजाओं से भरी सभा में उसका अपमान किया है। तेरा जीवन बहुत छोटा होगा और तू बिना किसी लड़ाई के ही मारा जाएगा।’

श्रीकृष्ण को भी मिला था श्राप: ‘महाभारत’ युद्ध की समाप्‍त‍ि के बाद श्रीकृष्‍ण सांत्वना देने के लिए गांधारी के पास पहुंचते हैं। श्रीकृष्ण को देखते ही गांधारी क्रोध में आकर उन्हें श्राप दे देती हैं जिस तरह मेरे 100 पुत्रों का नाश हुआ है, उसी तरह तुम्हारे वंश का भी आपस में एक-दूसरे को मारने के कारण ही नाश हो जाएगा।’

राजा परीक्षित की मृत्यु का कारण बना श्राप: एक बार राजा परीक्षित वन में भ्रमण कर रहे थे। प्यास लगने पर वे ऋषि शमीक के आश्रम पहुंचे। राजा परीक्षित ने ऋष‍ि से जल मांगा। लेकिन ऋषि ने ध्यान में लीन होने के कारण उनका उत्तर नहीं दिया। इस पर राजा ने वहीं पास में पड़े एक मरे हुए सांप को धनुष की नों से उठकार ऋष‍ि के गले में डाल दिया और राज्‍य लौट आए। जब ऋषि के पुत्र ऋंगी ऋषि ने अपने पिता का अपमान देखा तो उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर आंखें बंद की और राजा को श्राप दिया कि ठीक 7वें दिन उसकी मृत्यु सांप के डसने के कारण हो जायेगी।