Mahabharat Story in Hindi: यूं तो हर किसी ने महाभारत पढ़ा और सुना जरूर होगा। इसी महाभारत में कर्ण नाम का एक योद्धा भी था जो अद्भुत गुणों के कारण काफी प्रसिद्ध बन गया। कर्ण की ताकत का मुख्य कारण उनका कवच और कुंडल था। यही कारण था कि कर्ण को कभी कोई योद्धा परास्त नहीं कर सकता था और कर्ण को मार पाना लगभग असंभव ही था। कर्ण को लेकर एक खास बात यह भी है कि पांडव होने के बावजूद उन्होंने कौरवों का साथ दिया। ऐसे में आइए जानते हैं कर्ण के इस खास कवच और कुंडल के बारे में जो उनकी रक्षा करती थी।
सूर्य देव से मिला था वरदान
महाभारत के अनुसार, कर्ण का जन्म सूर्य देव के आशीर्वाद से हुआ था। सूर्य देव ने कर्ण को 100 कुंडल और कवच दिए थे। ये कुंडल और कवच बहुत खास थे। कवच ऐसा था कि उसे कोई भी शस्त्र या अस्त्र नहीं तोड़ सकता था। सूर्य देव ने कर्ण को वरदान दिया था कि जो भी इन कवच और कुंडल को तोड़ेगा, उसकी मृत्यु हो जाएगी। इस कारण से कर्ण के पास यह कवच और कुंडल बहुत शक्तिशाली थे। वे जब तक ये कवच और कुंडल पहने रहते, तब तक उन्हें कोई भी पराजित नहीं कर सकता था।
कर्ण के कवच में क्या शक्ति थी
कर्ण के कुंडल सूर्य के समान चमकते थे। इन कुंडल में दिव्य ऊर्जा संचित थी, जिससे कर्ण को बहुत ताकत मिलती थी। यह ऊर्जा कर्ण की शक्तियों को बढ़ाती थी और उन्हें बड़े से बड़े युद्ध में भी न जीत पाने वाली ताकत देती थी। कुंडल के कारण कर्ण का आत्मविश्वास भी बहुत मजबूत था, जिससे वह किसी भी चुनौती से नहीं डरते थे।
इस तरह चली गईं कर्ण की शक्तियां
महाभारत के युद्ध में कर्ण को मार पाना बहुत मुश्किल था, लेकिन श्री कृष्ण ने इस समस्या का हल निकाला। श्री कृष्ण जानते थे कि कर्ण के पास यह कवच और कुंडल हैं, जो उन्हें पराजित नहीं होने देते। इसलिए उन्होंने इंद्रदेव से कर्ण से यह कवच और कुंडल लेने के लिए कहा। इंद्रदेव ऋषि के रूप में कर्ण के पास गए और उनसे दान में यह कवच और कुंडल मांगे। कर्ण ने बिना किसी संकोच के ये सब दान कर दिए। इस तरह कर्ण की शक्तियां चली गईं और अर्जुन के लिए कर्ण को मारना आसान हो गया।
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