Mahabharat Story: महाभारत में हिडिम्बा के बारे में आपने सुना होगा। जो पांडु पुत्र भीम की पत्नी थीं। हिडिंबा राक्षस हिडिंब की बहन थी। कहते हैं कि हिडिंबा ने प्रण लिया था कि उसके भाई हिडिंब को जो युद्ध में मात देगा उसी के साथ वे विवाह करेंगी। हिडिंबा ने जब भीम को देखा तो उन्हें उससे प्रेम हो गया। इसलिए अपने भाई के कहने के बाद भी उसने पांडवों को नहीं मारा। भीम के हाथों राक्षस हिडिंब मारा गया और हिडिंबा का भीम के साथ विवाह हो गया। इन्हें घटोत्कच नामक पुत्र की प्राप्ति हुई।

हिडिंबा ऐसे बनीं देवी: भीम से शादी करने के बाद हिडिंबा राक्षसनी से मानवी बन गईं। महाभारत युद्ध के दौरान इनके पुत्र घटोत्कच ने काफी अहम भूमिका निभाई थी। मां के आदेश पर घटोत्कच ने युद्ध में अपनी जान देकर कर्ण के बाण से अर्जुन की जान बचाई। इसके बाद से मनाली के लोग हिडिंबा को देवी के रूप में पूजने लगे। हिडिंबा का मूल स्थान चाहे कोई भी रहा हो लेकिन जिस स्थान पर इनका दैवीकरण हुआ वह मनाली में ही है। मनाली में स्थित इनका मंदिर देखने में बहुत ही भव्य और कला की दृष्टि से भी बहुत खूबसूरत है। मंदिर के अंदर एक प्राकृतिक चट्टान है जिसके नीचे देवी का स्थान माना जाता है। चटटान को स्थानीय बोली में ‘ढूंग कहते हैं इसलिए देवी को ‘ढूंगरी देवी कहा जाता है। देवी को ग्राम देवी के रूप में भी पूजा जाता है।

विहंगमणि को दिया था वरदान: कहा जाता है कि विहंगम दास नाम का शख्स एक कुम्हार के यहां नौकरी करता था। जिसे एक दिन देवी ने सपने में दर्शन देकर उसे कुल्लू का राजा बनने के आशीर्वाद दिया। विहंगम कुल्लू राजघराने के पहले राजा माने जाते हैं। इनके वंशज आज भी हिडिंबा देवी की पूजा करते हैं। इसी राजघराने के ही राजा बहादुर सिंह ने हिडिंबा देवी की मूर्ति के पास मंदिर बनवाया था। मनाली घूमने वाले लोग इस मंदिर के दर्शन के लिए जरूर आते हैं। मंदिर के अंदर माता हिडिंबा की चरण पादुका हैं। लोग मान्यताओं अनुसार प्राचीन काल में यहां जानवरों की बलि दी जाती थी, जिसे अब बंद कर दिया गया है। लेकिन आज भी मंदिर की दीवारों पर सैकड़ों जानवरों के लंबे लंबे सींग लटके हुए पाए जाते हैं।