महाशिवरात्रि एक ऐसा अवसर है एक ऐसा मौका है जब भगवान शिव की कृपा से आप अपने जीवन की मुश्किलों को दूर कर सकते हैं। अपनी समस्याओं को चमत्कारिक रूप से सुलझा सकते हैं, उनको हल कर सकते हैं। शिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव पूजा रात्रि खास रूप से करनी चाहिए। पूरे दिन और रात उपवास करने के बाद अगले दिन सूर्योदय होने के बाद नहाकर ही व्रत खोला जाता। वास्तविक मान्यता यही है कि शिव पूजन और पारण चतुर्दशी तिथि में ही की जाती है।
शिवरात्रि का हर क्षण ही भगवान शिव की पूजा के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन शिवरात्रि में मध्यरात्रि की पूजा सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट होती है और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण होती है कि शिवरात्रि पर संध्या काल से लेकर अगले दिन सवेरे तक पूजा की जाए यानी चार पहर की पूजा की जाए। तो आज इसी विषय पर चर्चा करेंगे कि आखिर भगवान शिव की चार पहर की पूजा है क्या और इसका विशेष महत्व क्या है।
चार पहर की पूजा आखिर विशेष क्यों मानी जाती है?
तकनीकी रूप से देखें तो हर महीने में शिवरात्रि आती है लेकिन फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि आती है और यह पूजन के लिए अत्यंत विशेष होता है। शिवरात्रि पर रात की पूजा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण होती है चार पहर की पूजा। संध्याकाल से प्रदोष काल से शुरू होकर यह पूजा अगले दिन के ब्रह्म मुहूर्त में अगले दिन खत्म होती है। इसमें रात्रि का संपूर्ण प्रयोग किया जाता है यानी पूरी पूरी रात का इस्तेमाल किया जाता है। यह दिन शिव कृपा से भरा होता है। महाशिवरात्रि पर हर क्षण भगवान शिव की कृपा बरसती है।
महाशिवरात्रि की पूजा कैसे करें: महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग में चन्दन के लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं। मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि जालकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। फिर इसके बाद दीपक और कपूर जलाएं। पूजा करते समय ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
महाशिवरात्रि पूजा का शुभ समय:
- पहले पहर की पूजा- 1 मार्च को शाम 06 बजकर 22 मिनट से रात 09 बजकर 27 मिनट तक।
- दूसरे पहर की पूजा- 1 मार्च की रात 09 बजकर 27 मिनट से रात 12 बजकर 33 मिनट तक।
- तीसरे पहर की पूजा- 2 मार्च की सुबह 03 बजकर 39 मिनट से सुबह 06 बजकर 45 मिनट तक।
- चौथे पहर की पूजा का समय- 2 मार्च को सुबह 03 बजकर 39 मिनट से 06 बजकर 45 मिनट तक।
- व्रत पारण का समय- 02 मार्च को सुबह 06 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।
व्रत के दौरान इन चीजों का न करें सेवन: महाशिवरात्रि का व्रत कर रहें हैं तो इस दौरान किसी भी रूप में चावल, गेहूं या दाल का सेवन सख्त वर्जित है। महाशिवरात्रि पर काफी संयम का पान करें। पूरे दिन फल, दूध और व्रत के अनुसार ही चीजों का सेवन करें। हो सके तो नमक का सेवन न करें अगर करना भी है तो साधारण नमक के स्थान पर सेंधा नमक का सेवन करें।