हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की पूर्णिमा 31 जनवरी 2018 को है। इसी दिन खग्रास चंद्रग्रहण भी है। माघ माह को बत्तीसी पूर्णिमा व्रत भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार माघी पूर्णिमा के दिन अन्न दान और वस्त्रदान का महत्व माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद गरीबों को भोजन करवाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन आयु की वृद्धि के लिए तप और पूजन किया जाता है। माघ पूर्णिमा के दिन व्रत करने वालों के लिए नारद पुराण में व्रत विधि बताई गई है कि इस दिन जातक को निर्जला व्रत करके भगवान शिव और विष्णु का पूजन किया जाता है।
भगवान विष्णु और शिवजी का पूजन करने वाले जो श्रद्धालु निर्जला व्रत नहीं कर सकते हैं उन्हें विशेष प्रकार का भोजन लेना चाहिए। माना जाता है कि व्रत के दौरान शरीर में पानी की कमी नहीं होने देनी चाहिए। व्रत के दिन ऐसे फलों का सेवन करें जिसमें पानी की मात्रा अधिक हो। माघ पूर्णिमा के समय पपीता, केला, संतरा, अंगूर आदि कई फलों का सेवन किया जा सकता है। काफी देर तक भूखे नहीं रहना चाहिए, थोड़ी-थोड़ी देर में फलाहार करते रहना लाभदायक माना जाता है। लगातार काफी देर तक भूखे रहने से पेट में दर्द की समस्या भी हो सकती है।
माघ पूर्णिमा के व्रत में ड्राई फ्रूट्स का सेवन करने से शरीर में ताकत आती है और दिनभर काम करने की क्षमता बनी रहती है। इस दिन दूध का सेवन भी किया जा सकता है या दूध से बने पदार्थों का सेवन करना भी लाभदायक होता है। इस दिन तले-भूने भोजन का सेवन नहीं किया जाता है। आलस से बचने के लिए फलों का सेवन करना ही लाभदायक होता है। पूर्णिमा का व्रत गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए। इससे उनके साथ शिशु को भी परेशानी हो सकती है। शाम के समय पूजन के बाद व्रत खोलने पर भी ज्यादा मात्रा में भोजन ग्रहण करने से बचें और हो सके तो दही के साथ गेहूं की रोटी का सेवन किया जा सकता है। चंद्रमा मन या मानसिक मजबूती के लिए आधार माना जाता है। जिन लोगों को मानसिक दिक्कते हैं उन्हें चंद्र ग्रहण के दिन ध्यान लगाना चाहिए।

