सूतक चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों के समय लगता है। किसी बच्चे के जन्म लेने के बाद भी उस घर के सदस्यों को सूतक की स्थिति में बिताने होते हैं। सूतक काल में किसी भी तरह का कोई शुभ काम नहीं किया जाता। यहां तक की कई मंदिरों के कपाट भी सूतक के दौरान बंद कर दिये जाते हैं। इस बार 10 जनवरी को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण हालांकि इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। लेकिन बहुत से लोग हर तरह के ग्रहण को गंभीरता से लेते हैं जिस वजह से वो सूतक के नियमों का पालन भी करते हैं। जानिए सूतक काल के बारे में…

– सूर्य ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले तो चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। 10 जनवरी को लगने वाले ग्रहण का सूतक काल दोपहर 1.30 बजे के आस पास शुरू हो जायेगा।

– सूतक काल के समय किसी भी तरह के शुभ काम और पूजा पाठ इत्यादि कार्य नहीं किये जाते यहां तक की भगवान की मूर्ति को स्पर्श करने की भी मनाही होती है। कई मंदिरों के कपाट भी सूतक काल लगते ही बंद कर दिये जाते हैं।

– धार्मिक मान्यताओं अनुसार ग्रहण के सूतक काल में नकारात्मक ऊर्जा वातावरण में फैलने लगती है। इसलिए शुभ काम इस समय पर करने से पुण्यफल प्राप्त नहीं हो पाता और गर्भवती महिलाओं के लिए सूतक विशेष रूप से हानिकारक होता है।

– सूतक काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही काटने छाटने का काम करना चाहिए। प्रेगनेंट महिलाएं चाकू, ब्लेड, कैंची जैसी चीजों का इस्तेमाल न करें। ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के समय धार वाली वस्तुओं का प्रयोग करने से गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर इसका बुरा असर पड़ता है।

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– सूतक काल के समय वैसे तो खाने पीने की मनाही होती है लेकिन गर्भवती महिलाओं, बीमार व्यक्ति, छोटे बच्चों और वृद्ध लोगों पर ये नियम लागू नहीं होते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि सूतक काल लगने से पहले ही भोजन में तुलसी के पत्ते डाल दें। जिससे ग्रहण काल में जरूरत पड़ने पर इस खाने का इस्तेमाल किया जा सके।

– सूतक काल के समय मन ही मन में ईश्वर की अराधना करनी चाहिए। इस दौरान मंत्र जाप कर सकते हैं। इससे ग्रहण का अशुभ असर नहीं पड़ता। ग्रहण के सूतक काल की समाप्ति पर पूरे घर में गंगाजल छिड़क कर शुद्धिकरण कर लें।

– सूतक काल के दौरान भूलकर भी तुलसी के पौधे को नहीं छूना चाहिए।