चंद्र ग्रहण 16 जुलाई यानी आज रात 1 बजकर 31 मिनट से शुरु हुआ था, जो कि सुबह के 04 बजकर 29 मिनट तक चला। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। इसी के साथ 2019 का यह आखिरी चंद्र ग्रहण भी था। इस साल कुल 2 चंद्र ग्रहण हैं, जिसमें पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण 21 जनवरी को लग चुका है और अब दूसरा 16 से 17 जुलाई के बीच लगा जो कि साल का आखिरी चंद्रग्रहण था। जानकारी के लिए आपको बता दें कि अगला चंद्रग्रहण साल 2020 की 10 जनवरी को लगेगा।
2019 के आखिरी चंद्र ग्रहण की खास बात यह है कि इस दिन ग्रहों की स्थिति ऐसी रही जैसी कि आज से ठीक 149 साल पहले की थी। सन् 1870 में भी गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ था साथ ही शनि और केतु, चंद्रमा के साथ धनु राशि में बैठे हुए थे और सूर्य और राहु मिथुन राशि में थे।
Lunar Eclipse/Chandra Grahan 2019 Date and Timings in India: Check details here
देश से लेकर दुनिया भर के लोगों ने चंद्रग्रहण की तस्वीरें मोबाइल में क्लिक सोशल मीडिया पर शेयर कीं। देश के तमाम हिस्सों में चंद्र ग्रहण एक त्यौहार की तरह मनाया गया। वाराणसी, हरिद्वार, प्रयागराज में चंद्र ग्रहण को देखने और चंद्रदेव की पूजा करने के लिए भीड़ देखने को मिली।
Lunar Eclipse/Chandra Grahan July 2019: दुनिया भर में चंद्र ग्रहण से जुड़ी कुछ रोचक कहानियां
Highlights
इस साल के अंतिम चंद्र ग्रहण खत्म होने के बाद धर्म नगरी काशी में आस्था का जनसलाब देखने को मिला है। श्रद्धालुओं ने पूरी रात ग्रहण काल में गंगा नदी के तट पर बैठकर भजन कीर्तन करते रहे। बुधवार की सुबह करीब 4.30 बजे पर ग्रहण खत्म होने के बाद मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य के भागी बने। इसी के साथ दोपहर में सूतक काल के दौरान बंद हुए मंदिरों के कपाट भी करीब 13 से 14 घंटे बाद भक्तों के लिए खोले गए और मंदिरों में साफ सफाई के बाद दर्शन पूजन का क्रम शुरू हो गया है।
बीते मंगलवार को लगने वाले चंद्रग्रहण का सूतक काल शाम 4:30 बजे से शुरू हो गया था। इस दौरान चारों धाम के कपाट बंद कर दिए गए थे। बुधवार यानि आज सुबह 4:40 के बाद चारों धाम के कपाट दर्शन के लिए खोल दिए गए हैं।
मंगलवार की शाम 4 बजर 30 मिनट पर चंद्रग्रहण प्रारंभ होने से पूर्व विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट 4:20 पर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ बंद कर दिए गए थे। सूतक खत्म होने के बाद आज सुबह मंगला आरती के बाद इन मंदिरों के कपाट खोले गए हैं।
चंद्र ग्रहण के मद्देनजर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में संपन्न होने वाली आरतियों, मंदिर के बंद होने व खुलने का समय बदला गया है। मंदिर के मुख्य पुजारी के मुताबिक सूतक काल शुरू होने के बाद मंदिर में होने वाली शाम की सप्तर्षि आरती और श्रृंगार भोग आरती, शयन आरती अपने निर्धारित समय पर होगी। हालांकि, 17 जुलाई की भोर में मंगला आरती दो घंटे विलंब से प्रात: 4 बजकर 45 मिनट पर प्रारंभ होकर 5 बजक 45 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद ही मंदिर का कपाट सामान्य दर्शनार्थियों के लिए खोला जाएगा। संकटमोचन मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, कालभैरव मंदिर, महामृत्युंजय समेत अन्य मंदिरों के पट भी सावन के पहले दिन आरती के बाद देर से खुलेंगे।
चंद्रग्रहण खत्म होने के बाद पूजा स्थान की साफ सफाई करें। फिर पूजा स्थान पर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद अपने गुरु या शिव जी की उपासना करें। फिर किसी निर्धन व्यक्ति को सफेद वस्तु का दान करें।
चंद्रग्रहण के बाद सुबह स्नान करें और धुले हुए कपड़े ही पहनें। ग्रहण के वक्त पहने कपड़ों को किसी जरूरतमंद को दान दे देना चाहिए। नहाने के बाद घर या मंदिर में शिव और दुर्गा की स्तुति करें।
ध्यान रहे कोई भी व्यक्ति चंद्र ग्रहण के दौरान स्नान ना करे। या तो उससे पहले या फिर बाद में करें। यही वजह है कि संगम तट पर तमाम लोगों ने सूतक लगने से पहले ही स्नान ध्यान कर लिया था।
चंद्र ग्रहण के समय मन में राग द्वेष, झूठ, फरेब जैसे किसी भी तरह के बुरे विचार मन में ना लाएं। माना जाता है कि इस समय में किए गए अपराधों के पाप कई गुना ज्यादा हो जाते हैं। जितना हो सके इस वक्त ईश्वर की अराधना करें।
संगम तट पर तमाम राज्यों के लोग चंद्रग्रहण देखने के लिए आए हैं और अपने प्रतिकूल प्रभावों को दूर करने के लिए तमाम मंत्रों का जापते दिख रहे हैं। कोई गुरु के मंत्र तो कोई गायत्री मंत्र कोई मृत्युंजय मंत्र कोई नम: शिवाय का जाप कर रहा है।
ज्योषाचार्यों का कहना है कि चंद्रग्रहण के बाद अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है। कुछ ज्योतिष का यह भी मानना है कि इस ग्रहण के बाद भारत-पाक में हो सकती है बड़ी भिड़त हो सकती है।
भारत में साल के आखिरी चंद्रग्रहण की तस्वीरें देखने के लिए ओडिशा, इलाहाबाद, वाराणसी जैसे तमाम तीर्थों पर लोग चांद की पूजा करते दिख रहे हैं।
चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रतिछाया में आ जाता है। ऐसे में सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। सुनहरा चांद इस दौरान काला नजर आता है। उसकी खूबसूरती ग्रहण के कारण फीकी पड़ जाती है।
चंद्रमा की पूजा की तैयारियों में संगम तट पर स्नान कर रहे हैं लोग। कई साधु संत ध्यान मग्न होकर आसन लगाए शिव, दुर्गा और राम की आराधना करते दिख रहे हैं। कई लोग स्नान की तैयारी में हैं तो कइयों ने कर लिया है। देश भर से गंगा किनारे आए हैं लोग।
हरिद्वार में चांद देखने का कोई नहीं कर रहा इंतजार, हरि नाम और शिव के पूजा पाठ में बिजी हैं श्रृद्धालु। गंगा किनारे हो रहे भोलेनाथ के जयकारे और भजनों की झंकार पर नृत्य कर रहीं महिलाएं। आस्था डूबे हैं श्रद्धालु और ग्रहण के बाद गंगा में डुबकी लगाएंगे।
ज्योतिषियों के मुताबिक तब गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ पड़े थे और उस वक्त शनि चन्द्रमा राहु और केतु के साथ धनु राशि में थे और इसके साथ ही मिथुन राशि में सूर्य और राहु एक साथ प्रवेश कर गए थे। इस बार ये घटना आषाढ़ मास की पूर्णिमा यानि गुरुपूर्णिमा हो होने जा रही है। इस बार कि गुरु पूर्णिमा में चंद्र ग्रहण देखने को मिलेगा और इस चंद्रग्रहण को खंडग्रास चंद्र ग्रहण कहा जा रहा है।
2019 से पहले ऐसा ग्रहण 149 साल पहले हुआ था यानि 12 और 13 जुलाई 1870 को। ज्योतिषियों के मुताबिक तब गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ पड़े थे और उस वक्त शनि चन्द्रमा राहु और केतु के साथ धनु राशि में थे और इसके साथ ही मिथुन राशि में सूर्य और राहु एक साथ प्रवेश कर गए थे।
इस बार की पूर्णिमा में एक अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा, क्योंकि करीब 149 साल बाद पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ पड़ रहा है। यह नजारा 16 और 17 जुलाई को देखने को मिलेगा।
इस चंद्र ग्रहण में चांद का रंग लाल होने की संभावना है. लाल रंग के चांद को "ब्लड मून" (Blood Moon) कहते हैं. स्लोह संस्थान के मुख्य खगोलशास्त्री पॉल कॉक्स का कहना है कि यह पूर्ण चंद्र ग्रहण नहीं है, लेकिन फिर भी हमें चांद के रंग में जादुई परिवर्तन देखने को मिल सकता है क्योंकि फुल बक मून (Full Buck Moon) का 65% पृथ्वी के अंब्र (Umbra) में प्रवेश करेगा. चंद्रमा के रंग की भविष्यवाणी करना मुश्किल है क्योंकि पृथ्वी के वायुमंडल की स्थिति इसे प्रभावित करती है, लेकिन हाल ही में ज्वालामुखीय गतिविधि के कारण वातावरण में धूल उड़ रही है, हम 'हाफ ब्लड मून' की उम्मीद कर रहे हैं."
खगोलीय वैज्ञानिकों के मुताबिक, सुबह 4:30 बजे तक चंद्र ग्रहण रहेगा। यह इस बार ढाई से तीन घंटे रहेगा।
साल 2019 से पहले 12 जुलाई 1870 में इस तरह की स्थिति बनी थी। जब चंद्र ग्रहण और गुरु पूर्णिमा के एक साथ होने के साथ-साथ शनि और केतु, चंद्रमा के साथ धनु की राशि में बैठे हुए थे। और सूर्य और राहु मिथुन की राशि में थे। एक बार फिर ग्रहों की स्थिति बिल्कुल ऐसी ही बन रही है।
इस बार चंद्र ग्रहण गुरु पूर्णिमा को पड़ रहा है। ऐसा 149 साल बाद हो रहा है कि एक ही दिन गुरु पूर्णिमा और चंद्रग्रहण दोनों हैं। इससे पहले 1870 में ऐसा संयोग बना था।
इस साल कुल 5 ग्रहण लगने हैं। जिनमें से 3 सूर्यग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण हैं। पहला चंद्र ग्रहण 21 जनवरी को था और वहीं पहला सूर्य ग्रहण 6 जनवरी को लगा था। दूसरा सूर्यग्रहण 2 जुलाई का हुआ और अब दूसरा चंद्र ग्रहण 16-17 जुलाई की रात को लगने जा रहा है। साल का अंतिम और तीसरा सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को लगेगा।
ज्योतिषों के अनुसार जिन लोगों की राशि मेष, वृष, कन्या, वृश्चिक, धनु और मकर है, उनपर इस ग्रहण का सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। चंद्रग्रहण का मंगलवार और आषाढ़ नक्षत्र में आने के कारण इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाएगा। जिस कारण से प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति भी बन सकती है।
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को पड़ने वाले ग्रहण को लेकर कुछ ऐसे काम हैं, जिन्हें ज्योतिष और धार्मिक मान्याताओं के अनुसार नहीं करना चाहिए। जैसे इस दिन सोने पर मनाही होती है। माना जाता है कि इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा निकलती है, इससे सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
सूतक चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले मतलब कि शाम को 4:30 बजे से लग जायेगा। सूतक के दौरान कोई भी कार्य करना जैसे कि भोजन ग्रहण करना, सिलाई का कार्य करना आदि की अनुमति नहीं होती। यहां तक कि पूजा-पाठ करना भी शुभ नहीं माना जाता है। इसी कारण से सूतक के समय सभी मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। इसी कारण से आज के दिन अनेकों प्रमुख मंदिरों के पूजा व आरती के समय पर प्रभाव पड़ेगा, जिसके कारण भक्तों को दर्शन करने में समस्या हो सकती है।
भारत में पूर्णिमा की आधी रात के बाद ग्रहण का स्पर्श होगा। बता दें कि ग्रहण के शुरु होने के पहले सूतक लग जायेगा। सभी मठों, आश्रमों और गुरु घरानों में ऐसा मान्यता है कि सूतक के दौरान कोई पूजा और पाठ नहीं किया जाता है।
धर्म और पंचांग को मानने वाले इस ग्रहण को प्रमुखता से देख रहे हैं। इसकी वजह है चंद्र ग्रहण का आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में लगना। इसे खंडग्रास चंद्र ग्रहण कहा जा रहा है। 3 घंटे रहने वाले इस चंद्रग्रहण को लेकर ज्योतिष गणना बताती है कि ग्रहणकाल में प्रकृति के तौर पर नुकसान होने की संभावना है। इसी के साथ यह इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण होगा।
चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले शुरु हो जाता है। जिस तरह से चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है। उसी प्रकार सूतक काल में भी बहुत से काम नहीं करने चाहिए। इस दौरान मंदिर बंद कर दिये जाते हैं साथ ही भगवान की मूर्तियों को छूना भी वर्जित होता है।
गुरु पूर्णिमा के मौके पर 16 जुलाई को आधी रात के बाद से चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। यह ग्रहण रात में 1.31 बजे से शुरू होगा और बुधवार तड़के 4.30 बजे खत्म होगा। भारत में ये चंद्र ग्रहण देखा जा सकता है। चंद्र ग्रहण का सूतक 16 जुलाई को शाम 4.31 बजे से शुरू होने जा रहा है। चंद्रग्रहण का स्पर्श 16 जुलाई की देर रात 1.31 बजे शुरू होगा और इसका मध्य तीन बजे होगा। ग्रहण का मोक्ष रात 4.30 बजे होगा।
इस बार का चंद्र ग्रहण खास है। क्योंकि चंद्र ग्रहण पर गुरु पूर्णिमा के साथ-साथ कुछ ग्रहों की स्थिति ऐसी है जो आज से 149 साल पहले बनी थी। जो इस ग्रहण का प्रभाव और भी ज्यादा बढ़ा रही है। प्राकृतिक आपदाओं का खतरा रहेगा।
सूतक काल के दौरान कुछ विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है। कुछ कार्यों पर रोक लग जाती है। लेकिन क्या होता है सूतक इसे जानने के लिए पढ़ें ये खबर... Chandra Grahan 2019 Sutak Timings: किसे कहते हैं सूतक काल, चंद्र ग्रहण में क्या करना सही नहीं माना जाता
झारखंड – झारखंड में भी सूतक शाम के 4:31:43 से 7:29:39 तक रहेगा। वहीं इसके साथ बारिश भी हो सकती है।
बंगाल – बंगाल में सूतक का समय शाम के 4:31:43 से 7:29:39 तक है। बंगाल में मौसम इस दौरान साफ रहेगा।
यूपी – यूपी में भी सूतक शाम को 4:31:43 से शुरू होकर 7:29:39 तक लगा रहेगा। यूपी में बादलों के साथ-साथ बिजली कड़क सकती है।
बिहार – बिहार में सूतक के समय की अगर बात की जाए तो ये शाम को 4:31:43 से 7:29:39 तक लगेगा। बिहार में बादल के साथ बारिश होने की भी उम्मीद है।
दिल्ली – दिल्ली में सूतक शाम को 4:31:43 से 7:29:39 तक रहेगा। और अगर मौसम की बात की जाए तो बादल रहेगा और ठंडी हवांए चल सकती हैं।
इस चंद्र ग्रहण को भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, एशिया लेकिन यहां के उत्तर-पूर्वी भाग को छोड़ कर, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका के ज्यादातर भाग में दिखाई देगा।
सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ग्रहण से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ सकता है। ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को और किन बातों का रखना चाहिए ध्यान जाननें के लिए यहां क्लिक करें... Chandra Grahan/Lunar Eclipse 2019: चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाएं इन बातों का जरूर रखें ध्यान
दोपहर 04 बजकर 31 मिनट से सूतक शुरु होने जा रहा है। लगभग सभी राज्यों में सूतक काल का यही समय रहने के आसार हैं। सूतक काल के दौरान इन बातों का रखें विशेष ध्यान Chandra Grahan 2019: चंद्र ग्रहण के दौरान इन कार्यों को करने की होती है मनाही