Yellow sapphire gemstone: हर व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति अलग-अलग होती है। इनके जीवन पर ग्रहों का शुभ या अशुभ प्रभाव पड़ता है। कमजोर ग्रहों को मजबूत करने या किसी ग्रह को शांत करने के लिए विभिन्न ज्योतिषीय उपायों का उपयोग किया जाता है। इन उपायों से ग्रहों का फल प्राप्त करने के लिए रत्नों का बहुत महत्व होता है।

जब किसी भी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह नकारात्मक होता है और कोई ग्रह सकारात्मक होता है तो जातक को नकारात्मक ग्रह के अशुभ प्रभाव भुगतने पड़ते हैं। लेकिन इन ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए रत्नों का वर्णन किया गया है।

यहां हम पुखराज रत्न के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसका संबंध बृहस्पति से है। बृहस्पति को देवों का देव कहा जाता है। इसके साथ ही बृहस्पति को समृद्धि और वृद्धि का कारक माना जाता है। आइए जानते हैं पुखराज धारण करने के फायदे और इसे धारण करने की विधि-

अमिताभ बच्चन से लेकर एकता कपूर तक, जानिए किसका किस रत्न पर है विश्वास

पुखराज किसे धारण करना चाहिए ?

पुखराज धारण करने के संबंध में ज्योतिषियों का कहना है कि जिन व्यक्तियों की कुण्डली में गुरु उच्च का या शुभ हो, वे पुखराज धारण कर सकते हैं। वहीं मीन और धनु और लग्न वाले पुखराज धारण कर सकते हैं, दरअसल इन दोनों राशियों के स्वामी बृहस्पति हैं। तुला राशि के जातक पुखराज धारण कर सकते हैं, क्योंकि बृहस्पति आपके पंचम भाव का स्वामी है। यदि कुण्डली में बृहस्पति नीच का हो तो पुखराज नहीं पहनना चाहिए। हीरा पुखराज के साथ धारण नहीं करना चाहिए। नहीं तो नुकसान हो सकता है।

पुखराज धारण करने की विधि

बाजार में सबसे अच्छा पुखराज सीलोन है। लेकिन यह थोड़ा महंगा है और बैंकॉक पुखराज सीलोन से सस्ता है। अब बाजार से साढ़े सात या आठ रत्ती का कोई भी पुखराज रत्न खरीद लें। ज्योतिषीय दृष्टि से इस रत्न को सोने या चांदी की अंगूठी में गुरुवार के दिन धारण करें। अंगूठी को पहनने से पहले गंगाजल या दूध से साफ करें। इसके बाद अंगूठी को दाहिने हाथ की तर्जनी अंगुली में धारण करें। इसे धारण करने के बाद गुरु ग्रह से संबंधित दान किसी ब्राह्मण को देना चाहिए।