Lord Ganesha Mythology Story: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के आरंभ से पहले भगवान गणेश की आराधना सबसे पहले की जाती है। चाहे शादी-विवाह हो, गृह प्रवेश या अन्य कोई धार्मिक अनुष्ठान, कोई भी कार्य बिना भगवान गणेश की पूजा किए शुरू नहीं होता है। क्योंकि शास्त्रों में कहा गया है कि बिना भगवान गणेश की पूजा किए कोई भी काम सफल नहीं हो सकता है। इसलिए हिंदू धर्म में भगवान गणेश की पूजा को सबसे अहम माना जाता है और वह सभी देवी-देवताओं में प्रथम पूज्य देवता भी हैं। ऐसी मान्यता है कि पहले किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले अगर गणेश जी की पूजा की जाए तो उसमें सफलता अवश्य मिलती है, साथ ही उस कार्य में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती। दरअसल, भगवान गणेश की सर्वप्रथम पूजा करने के पीछे एक बहुत ही रोचक कथा जुड़ा है। तो चलिए जानते हैं इस कहानी के बारे में।

कैसे भगवान गणेश बने प्रथम पूज्य देवता?

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव के दोनों पुत्र, बालक गणेश और कार्तिकेय के बीच इस बात को लेकर बहस होने लगी कि उनके माता-पिता सबसे अधिक किसे मानते हैं। जब यह बात देवों के देव महादेव को पता चली तो उन्होंने बहस को शांत करवाने के लिए एक योजना बनाई। इस दौरान वहां सभी देवी-देवता भी उपस्थित थे। इसके बाद भगवान शिव में सभी के सामने कहा कि जो सबसे पहले अपने वाहन से पृथ्वी का चक्कर लगाकर वापस आएगा, वही विजेता होगा। कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर तुरंत निकल पड़े। दूसरी ओर, गणेश जी का वाहन एक छोटा-सा चूहा था। वह जानते थे कि चूहे के साथ पृथ्वी का चक्कर लगाना आसान नहीं होगा।

लेकिन भगवान गणेश ने एक अलग ही रास्ता अपनाया। उन्होंने ब्रह्मांड की परिक्रमा करने की बजाय भगवान शिव और माता पार्वती की परिक्रमा की और फिर उनके सामने जाकर आशीर्वाद लिया। दरअसल, उन्होंने सोचा कि ‘माता-पिता ही तो हमारी पूरी दुनिया हैं। अगर मैं उनकी परिक्रमा कर लूं, तो यह पृथ्वी का चक्कर लगाने के बराबर ही होगा।’ इसलिए उन्होंने अपने माता-पिता के चारों ओर सात बार परिक्रमा की और वहीं खड़े रहे।

जब कार्तिकेय पृथ्वी का चक्कर लगाकर लौटे, तो देखा कि गणेश जी पहले ही जीत चुके हैं। भगवान शिव ने सभी देवी-देवताओं के सामने गणेश जी को विजेता घोषित किया। उन्होंने कहा कि गणेश ने यह साबित कर दिया कि माता-पिता से बड़ा कोई नहीं है। शास्त्रों में भी यह कहा गया है कि संपूर्ण ब्रह्मांड माता-पिता के चरणों में है। माता-पिता का स्थान सबसे ऊंचा है। तभी से यह परंपरा शुरू हुई कि हर पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। आपको बता दें कि शास्त्रों में इसके अलावा भी कई कथाएं प्रचलित है।

हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि दोनों का ही विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भक्तों की सभी परेशानियां दूर होती हैं। ऐसे में अगर नए साल में आप भी मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने वाले हैं तो साल 2025 में मासिक शिवरात्रि की सही डेट एवं पूरी लिस्ट नोट कर लें।

मेष वार्षिक राशिफल 2025वृषभ वार्षिक राशिफल 2025
मिथुन राशिफल 2025कर्क राशिफल 2025
सिंह राशिफल 2025कन्या राशिफल 2025
तुला राशिफल 2025वृश्चिक राशिफल 2025
धनु राशिफल 2025मकर राशिफल 2025
कुंभ राशिफल 2025मीन राशिफल 2025

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