राम भक्त हनुमान के बहुत सारे स्वरूपों की चर्चा कई ग्रंथों में की गई है। इनके इन स्वरूपों की पूजा के लिए पूरे भारत में कई मंदिर हैं जहां इनकी पूजा विधि-विधान से की जाती है। हनुमान जी का ऐसा ही एक स्वरूप लेटा हुआ है। कहते हैं कि मुगल बादशाह औरंगजेब और उसकी सेना ने मिलकर भी इस मंदिर को नष्ट न कर सका। क्या आपको पता है कि इस मंदिर में हनुमान जी लेते हुए क्यों हैं? और खुद गंगा माता हनुमान जी के चरण क्यों धोती हैं? यदि नहीं, तो आगे इस प्रसंग को जानते हैं।
लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर प्रयागराज के संगम तट पर स्थित है। इस मंदिर के बारे में कई जनश्रुतियां प्रचलित हैं। कहते हैं कि यह मंदिर दुनिया का एक मात्र ऐसा मंदिर है जिसका वर्णन पुरणों में भी किया गया है। साथ ही यही एक ऐसा मंदिर है जहां लेटे हुए हनुमान जी के लेटे हुए स्वरूप का वर्णन मिलता है। वैसे तो इस मंदिर के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं लेकिन सबसे विश्वसनीय त्रेता युग से जुड़ी हुई है। इस कथा के अनुसार राम अवतार में हनुमान सूर्य देव से अपनी शिक्षा-दीक्षा पूरी की। जिसके बाद हनुमान सूर्य देव को दक्षिणा की बात कही। तब भगवान सूर्य ने कहा कि समय आएगा तो वो दक्षिणा मांग लेंगे। लेकिन हनुमान जी के बहुत अनुरोध करने पर सूर्य देव ने कहा कि राम, लक्ष्मण और सीता वनवास में हैं।
इसलिए वन में उन्हें कोई कठनाई न हो इसका ध्यान रखना। सूर्य देव की बात सुनकर हनुमान अयोध्या की ओर जाने गले। इसी बीच सूर्य यह सोचने लगे कि जब हनुमान ही सारे राक्षसों को मार देंगे तो हमारे अवतार का कोई उद्देश्य नहीं होगा। इसलिए उनहोंने माया से कहा कि हनुमान जी को गहरी निद्रा में डाल दो। इधर हनुमान जी गंगा जी के तट पर पहुंचे तो सूर्य अस्त हो चला था। चूंकि रात में गंगा को लांघा नहीं जाता है इसलिए हनुमान जी ने गंगा के तट पर ही रात्रि विश्राम करने का विचार किया। कहते हैं कि तभी से यह माना जाता है कि भगवान ने उन्हें निद्रा में सुला दिया था। जिसके बाद से गंगा मटा इनके चरण धोती हैं।


