लक्ष्मी जंयती व्रत हिंदू धर्म में अति महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जयंती का व्रत किया जाएगा। इस दिन माता लक्ष्मी की विशेश पूजा की जाती है। भविष्यपुराण के अनुसार लक्ष्मी जयंती के दिन माता लक्ष्मी का पूजन करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। भविष्यपुराण की कथा के अनुसार एक समय माता लक्ष्मी देवताओं से रुष्ट होकर क्षीर सागर में प्रविष्ट कर गई थी। इसके बाद समस्त देवता लक्ष्मी विहिन हो गए। समस्त लोकों में हाहाकार मच गया इसके बाद स्वर्ग के स्वामी इंद्र देव ने कठोर तप किया और विशेष विधि-विधान से माता लक्ष्मी का पूजन किया। इंद्र देव को देखकर सभी देवों और ऋषियों ने भी माता लक्ष्मी का पूजन किया। अपने साधकों की इस भक्ति से माता लक्ष्मी प्रसन्न हुई और पुनः उत्पन्न हुई।

हिंदू मान्यता के अनुसार लक्ष्मी जयंती के दिन प्रातः स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करके माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। इस दिन रात्रि में चावल और दूध से बने पदार्थ का सेवन किया जाता है। माता लक्ष्मी की पूजा तांबे, चांदी से लक्ष्मी जी की कमल के फूल सहित प्रतिमा का पूजन किया जाता है। कई लोग पंचमी के दिन हर माह माता लक्ष्मी का पूजन विधि के साथ करते हैं। भविष्यपुराण के अनुसार विधि के साथ पूजन करने से लक्ष्मी लोक में माता के साथ स्थान प्राप्त होता है। स्त्रियों के इस व्रत को करने से संतान, धन, वैभव और शांति की प्राप्ति होती है।

इस वर्ष लक्ष्मी जयंती का पर्व होली के दिन है जिससे इस दिन का महत्व अधिक बढ़ जाता है। मान्यता है कि इस दिन होलिका दहन को दूध या घी से बुझाना शुभ माना जाता है। इससे घर में माता लक्ष्मी का आगमन होता है। होलिका की राख को व्यापार स्थल पर रखने से काम में वृद्धि होती है। होलिका दहन के समय माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करना लाभदायक हो सकता है। ऊं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः का जाप करने से कष्टों में कमी आती है। माता लक्ष्मी की पूजा में फूल, चंदन, केसर, पीला वस्त्र और मिठाई अर्पित करना लाभकारी माना जाता है।