Purnima Vrat/ Lakshmi Puja 2019: नवरात्रि के बाद और दिवाली से पहले आश्विन मास की पूर्णिमा को लक्ष्मी पूजा मनाई जाती है। इसके पीछे धार्मिक मान्यता ये है कि इसी दिन धन की देवी लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए आश्विन मास की पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी का विधि-विधान से पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन जो मनुष्य विधिपूर्वक और शुद्ध हृदय से लक्ष्मी जी की आराधना करता है उसे देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त है। जिससे भक्तों के जीवन में भरपूर धन-वैभव रहता है।
लक्ष्मी पूजा का महत्त्व
आश्विन पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के तौर पर भी मनाया जाता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की आधी रात को माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर बैठकर यह देखने निकलती है कि कौन जागकर उनकी आराधन कर रहा है। और जो मनुष्य इस रात को जाग रहा होता है उसे मां लक्ष्मी धन-वैभव का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। इसलिए ऐसी मान्यता है कि आश्विन पूर्णिमा की रात को जागकर देवी लक्ष्मी की उपासना करनी चाहिए।
ऐसे करें लक्ष्मी पूजा
आश्विन पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे पहले नहा-धोकर साफ-सुथरे कपड़े पहनें। फिर धन की देवी लक्ष्मी की पूजा का विधिवत संकल्प लें। पूजा वाले स्थान पर लक्ष्मी जी की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें। इसके बाद विधिपूर्वक मां लक्ष्मी का पूजन करें। पूजन सामग्री में दूर्वा (एक प्रकार का घास), अक्षत, लाल कपड़ा, कलावा, चंदन, फूल, फूल-माला, नारियल, फल, मिठाई इत्यादि वस्तुओं को शामिल करें। इन पूजन सामग्री को लक्ष्मी-पूजा के समय अर्पित करें।
लक्ष्मी-पूजन के बाद शुद्ध घी और कपूर से घी का दीपक जलाकर माता लक्ष्मी की आरती करें। आरती करने के बाद पूर्णिमा की आधी रात में घी के 101 दीपक जलाना शुभ माना गया है। क्योंकि ऐसी धार्मिक मान्यता है कि जब लक्ष्मी पूजा की रात देवी लक्ष्मी आधी रात को निकलती हैं तो जिसके घर घी का दीपक जला होता है उसके ऊपर कृपा दृष्टि रखतीं हैं।
मां लक्ष्मी की विशेष पूजा वैसे तो दिवाली के अवसर पर की जाती है, परंतु आश्विन पूर्णिमा और अन्य दिनों में भी इनकी पूजा कल्याणकारी मानी गई है।