Vish Yog in Kundli: ज्योतिष अनुसार व्यक्ति की जन्मकुंडली में शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के योग स्थित होते हैं। शुभ योग व्यक्ति को ऊंचाइयों पर ले जाते हैं, तो वहीं अगर कुंडली में अशुभ योग स्थित हों तो व्यक्ति को जिंदगी भर संघर्ष करना पड़ता है। साथ ही व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिलता है। ऐसे ही हम एक अशुभ योग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका नाम है विष योग। यह योग अगर किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में बन रहा हो तो व्यक्ति को मृत्‍यु जैसा कष्‍ट झेलना पड़ता है। जीवन में एक के बाद संकट आते रहते हैं। आइए जानते हैं कुंडली में कैसे बनता है ये योग और इसके प्रकोप से बचने के उपाय…

ऐसे बनता है कुंडली में विष योग

वैदिक ज्योतिष अनुसार जब कर्क राशि में शनि पुष्य नक्षत्र में हो और चंद्रमा मकर राशि में श्रवण नक्षत्र का रहे अथवा चंद्र और शनि विपरीत स्थिति में हों। साथ ही दोनों अपने-अपने भाव से एक दूसरे को देख रहे हों तो तब विष योग का निर्माण होता है। इसके साथ ही यदि कुंडली में आठवें स्थान पर राहु मौजूद हो और शनि (मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक) लग्न में हो तो भी इस योग का निर्माण होता है।

व्यक्ति पर विष योग का प्रभाव

विष योग के कारण व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिलता है। कई बार उसको कारोबार में बदलाव करना पड़ता है। बनते- बनते काम बिगड़ जाते हैं। वहीं शनि-चंद्र के इस विष योग के कारण व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक परेशानियों से जूझना पड़ता है। डिप्रेशन होता है।  इसके अलावा जातक को मृत्‍यु, डर, दु:ख, अपयश, रोग, गरीबी, आलस और कर्ज झेलना पड़ता है।

विष योग के प्रभाव से बचने के उपाय

1- शन‍िवार के दिन दीपक में सरसों तेल में काली उड़द और काला तिल डालकर जलाना चाहिए।

2- हर शनिवार और मंंगलवार के दिन पवनसुत हनुमानजी की पूजा करनी चाह‍िए।

3- प्रत्‍येक शनिवार को कुएं में दूध अर्पण करें। मान्‍यता है क‍ि ऐसा करने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

4-पीपल वृक्ष के नीचे नारियल को सात बार अपने सिर से उतारकर फोड़ना चाहिए। वहीं प्रसाद के रूप में सभी को वितरित करें।

5- हर सोमवार भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से विष योग से मुक्ति मिल सकती है।