Vastu Tips: कई बार ऐसा होता है कि पूरी मेहनत और तमाम पूजा पाठ के बावजूद घर की स्थिति बेहतर नहीं हो पाती है। दान-दक्षिणा के बाद भी जब लोगों के अच्छे दिन नहीं आ पाते तो वो कई बार हताश भी हो जाते हैं। साथ ही कहां कमी रह गई इस बारे में सोचने लगते हैं। हालांकि, गलती उनकी भावना में नहीं बल्कि पूजा करने वाली जगह में हो सकती है। वास्तु शास्त्र अनुसार अगर घर का वास्तु सही नहीं है तो आपको कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में कई लोग पूजा स्थल बनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि पूजा घर बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए –

इस दिशा में होना चाहिए मंदिर: वास्तु के अनुसार घर में पूजा का स्थल बनाने के लिए सबसे उत्तम दिशा ईशान कोण यानी कि उत्तर पूर्व दिशा को माना जाता है। इसे ही भगवान को स्थापित करने का सबसे उपयुक्त स्थान माना जाता है।

भक्त बैठें इस दिशा में: पूजा की जगह निश्चित करते समय केवल भगवान को रखने की जगह मायने नहीं रखती है, बल्कि आप किस दिशा में बैठकर पूजा कर रहे हैं – ये भी महत्वपूर्ण है। वास्तु के अनुसार जब कोई व्यक्ति किसी भी देवी-देवता की पूजा करता है, तो उसे अपना मुख पूर्व दिशा में रखना चाहिए। इसके अलावा, पश्चिम दिशा को भी शुभ माना गया है। लोगों को इन्हीं दो दिशाओं में चेहरा करके पूजा करनी चाहिए।

कहां होने चाहिए खिड़की-दरवाजे: जानकारों का मानना है कि घर की मंदिर में पूजा घर के खिड़की व दरवाजे उत्तर या पूर्व दिशा में होने चाहिए। वहीं, कभी भी पश्चिम दिशा में दरवाजा  नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही देवी-देवताओं की मूर्ति को दरवाजे के सामने नहीं रखना चाहिए। जिस जगह पर देवी-देवता स्थापित किये गए हों, उस दिशा में शौचालय, स्टोर इत्यादि नहीं बनाए जाने चाहिए।

इन रंगों का करें इस्तेमाल: पूजा घर में मुख्यतः हल्के रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए। लोग दीवारों को जहां हल्के पीले रंग से रंगा जा सकता है। वहीं, फर्श पर हल्के पीले रंग या फिर सफेद रंग के पत्थर लगाए जा सकते हैं।