हिंदू धर्म में कई सारी परंपराएं सदियों से चली आ रही हैं। इन्हीं में से एक है- यज्ञ और हवन कराना। हिंदू धर्म ग्रंथों में मनोकामना की पूर्ति और अनिष्ट को टालने के लिए यज्ञ कराए जाने के कई प्रसंग मिलते हैं। रामायण और महाभारत में भी यज्ञ और हवन का उल्लेख किया गया है। धर्म ग्रंथों के मुताबिक राजाओं ने कई महान यज्ञ कराएं हैं। यज्ञ और हवन कराने की परंपरा आज भी जारी है। इसे आज भी उतना ही शुभ फलदायी माना जाता है जितना कि पहले था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यज्ञ और हवन में क्या अंतर है? यदि नहीं तो हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।

यज्ञ और हवन में अंतर: हवन, यज्ञ का ही छोटा रूप है। यज्ञ और हवन के बीच के अंतर को निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर समझा जा सकता है।

1. हवन, यज्ञ का ही छोटा रूप है। पूजा के बाद अग्नि में दी जाने वाली आहुति को हवन कहा जाता है। जबकि किसी खास उद्देश्य से देवता विशेष को दी गई आहुति यज्ञ कहलाती है।

2. यज्ञ में देवता, आहुति, वेद मंत्र, ऋत्विक और दक्षिणा कार्य का होना अनिवार्य है। जबकि हवन कुंड में अग्नि के माध्यम से देवता को हवि (भोजन) पहुंचाने की प्रक्रिया है।

3. हवन को हिंदू धर्म में शुद्धिकरण का एक कर्मकांड माना गया है। जबकि यज्ञ किसी खास उद्देश्य जैसे कि मनोकामना की पूर्ति और अनिष्ट को टालने के लिए की जाती है।

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4. हवन के जरिए आसपास की बुरी आत्माओं के प्रभाव को खत्म किया जाता है। जबकि यज्ञ काफी बड़े पैमाने पर कुछ विशेष उद्देश्यों के लिए की जाती है।