Hans Yog In Kundli: वैदिक ज्योतिष में शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के योगों का वर्णन किया गया है। वहीं अगर व्यक्ति की जन्मकुंडली में शुभ योग हों तो उसको करियर में आसानी से सफलता मिल जाती है। वह अपने करियर के क्षेत्र में अच्छा नाम कमाता है। यहां हम बात करने जा रहे हैं हंस योग के बारे में, संबंध देवगुरु बृहस्पति से होता है। अगर यह योग किसी व्यक्ति की कुंडली में बन रहा हो तो ऐसे लोग अध्यात्म और ज्योतिष के क्षेत्र में अच्छा नाम कमाते हैं। आइए जानते हैं इस योग का निर्माण कैसे होता है और इस योग के बनने से व्यक्ति को क्या लाभ मिलते हैं।

जानिए कैसे बनता है हंस योग

वैदिक ज्योतिष में हंस योग का विशेष महत्व है। यह योग का निर्माण किसी व्यक्ति की कुंडली में तब होता है जब गुरु ग्रह लग्न या चन्द्रमा से पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में कर्क, धनु अथवा मीन राशि में विजाजमान होता है तब हंस योग बनता है। वहीं अगर गुरु बृहस्पति की डिग्री मजबूत हैं तो इस योग का पूर्ण फल व्यक्ति को प्राप्त होता है। 

हंस योग के बनने से मिलते हैं ये लाभ

हंस योग में जन्में व्यक्ति सुन्दर, सुशील और आकर्षक होते हैं। ये लोग बहुत बड़े कथावाचक हो सकते हैं। साथ ही इन लोगों की भगवान में पूर्ण आस्था होती है। ये लोग ज्योतिष और गूढ़ विषयों के जानकार होते हैं। साथ ही हंस योग निर्माण से व्यक्ति किसी धार्मिक या आध्यात्मिक संस्था में किसी प्रतिष्ठा और स्वामित्व वाले पद को प्राप्त करने वाला हो सकता है। वहीं इस योग में जन्मे व्यक्ति शिक्षा के क्षेत्र में भी अच्छा नाम कमा सकते हैं। ये लोग प्रोफेसर और शिक्षक भी हो सकते हैं। क्योंकि वैदिक ज्योतिष में गुरु को ज्ञान का कारक माना जाता है।

हंस योग में पैदा हुए लोग बातचीत करने में निपुण होते हैं। जिससे यह लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर लेते हैं। ये लोग समाज में अपनी अलग पहचान बनाते हैं। देखा गया है इन लोगों को मोह- माया से लगाव नहीं होता है। वहीं ये लोग शिक्षा के प्रति गंभीर होते है और इनकी ज्ञान प्राप्त करने की लालसा कभी समाप्त नहीं होती।