Pradosh Vrat 2024 Date: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। आपको बता दें कि हर मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। मान्यता है जो भी व्रत रखकर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा- अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं इस साल कार्तिक मास का पहला प्रदोष व्रत 13 नवंबर को रखा जाएगा। वहीं आपको बता दें कि इस दिन रवि योग भी बन रहा है। जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं तिथि और शुभ मुहूर्त…

कार्तिक माह प्रदोष व्रत तिथि (Kartik Month Pradosh Vrat Date)

ज्योतिष पंचाग के मुताबिक कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 13 नवम्बर को दोपहर 01 बजकर 2 मिनट से शुरू हो जाएगी। वही इसका अंत अगले दिन यानि 14 नवम्बर को सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर होगा।

पूजा का शुभ मुहूर्त (Subh Muhurat)

प्रदोष पूजा मुहूर्त: 05:31 संध्या से 08:09 संध्या
अवधि: 02 घण्टे 38 मिनट्स
दिन का प्रदोष समय: 05:30 संध्या से 08:08 संध्या

प्रदोष व्रत का महत्व (Pradosh Vrat Mahatva)

शास्त्रों के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही भगवान शिव का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होता है। वही इसके साथ ही जीवन में अपार सफलता के साथ-साथ धन लाभ आता है। इसके साथ ही संतान सुख की प्राप्ति होती है। वहीं बुध प्रदोष के दिन पूजा करने से कुंडली से बुध दोष दूर होता है।

प्रदोष व्रत पर पढ़ें शिव आरती

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥