Kartik Maas Ke Niyam: शास्त्रों में कार्तिक मास का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। कहते हैं कि भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में यह बात कही है कि उन्हें कार्तिक मास अत्यंत प्रिय है और कार्तिक मास उन्हीं का ही एक स्वरूप है। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि महीनों में मैं कार्तिक हूं।
साथ ही इस महीने अनेकों त्योहार भी आते हैं। इस वजह से इस महीने का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। कार्तिक के महीने में ही देवोत्थान एकादशी आती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने की निंद्रा से जागते हैं। इन सब कारणों से कार्तिक मास को अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। कहते हैं कि कार्तिक मास में कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए।
बताया जाता है कि कार्तिक मास में रोजाना सुबह पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। अगर ऐसा करना संभव ना हो तो आप किसी भी पवित्र नदी के पानी को अपने नहाने की बाल्टी के पानी में मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।
कार्तिक मास के दौरान अधिक-से-अधिक दान करना चाहिए। प्रयास करें कि फल, मिठाई और वस्त्रों का दान अवश्य करें। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास में दान करने का फल अधिक मिलता है। इसलिए इस महीने में दान को बहुत अधिक महत्व दिया गया है।
कार्तिक मास के दौरान किसी भी हिंसात्मक गतिविधि का हिस्सा नहीं बनना चाहिए। बताया जाता है कि कार्तिक महीने के दौरान हिंसात्मक गतिविधियां करने या किसी की हत्या करने से बहुत अधिक पाप लगता है। इस पाप का प्रायश्चित बहुत अधिक यत्न करने के बाद ही संभव हो पाता है।
कार्तिक मास में भगवान कृष्ण के दामोदर रूप की उपासना करने का महत्व है। बताया जाता है कि जो लोग इस दौरान भगवान कृष्ण के दामोदर स्वरूप के दर्शन करते हैं और उनकी आराधना करते हैं उनके सभी पापों का नाश होता है।
इस बात का ध्यान रखें कि कार्तिक मास में दीपदान करने का महत्व बहुत अधिक है। इसलिए नियमित रूप से सुबह और शाम को दीपदान करें। यहां दीपदान करने का अर्थ दीपक जलाकर भगवान कृष्ण की पूजा करने से है।
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए मंत्र जाप करें। भगवान विष्णु को कार्तिक मास अत्यंत प्रिय हैं। इसलिए वैष्णव विशेष तौर पर कार्तिक मास में यह प्रयास करते हैं कि अधिक-से-अधिक नाम जाप कर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाए।