Kartik Maas 2023: हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। यह माह भगवान विष्णु के सबसे प्रिय मास में से एक है। इस पूरे महीने भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा करने का विधान है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आठवां माह कार्तिक मास होता है, जो आश्विन मास के बाद आता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि कार्तिक मास के दौरान भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं। इस कारण इस पूरे मास स्नान-दान करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस पूरे महीने में तुलसी के पौधे की पूजा करने से भी मां लक्ष्मी के साथ श्री हरि की असीम कृपा प्राप्त होती है। अगर आप कोई इच्छा पूरी करना चाहते हैं या फिर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो कार्तिक मास की इस तिथि को करें ये खास उपाय।
कब से शुरू हो रहा कार्तिक मास 2023?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भगवान विष्णु का प्रिय माह कार्तिक मास 29 अक्टूबर से आरंभ हो रहा है, जो 27 नवंबर 2023 को समाप्त हो रहा है।
कार्तिक मास 2023 की दशमी तिथि कब?
कार्तिक मास की दशमी तिथि का विशेष महत्व है। कार्तिक मास की दशमी तिथि कृष्ण और शुक्ल पक्ष में दो बार पड़ रही है। कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि 7 नवंबर 2023 को और शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 22 नवंबर 2023 को पड़ रही है।
कार्तिक मास की दशमी तिथि को करें ये उपाय
कार्तिक मास के पूरे महीने भगवान विष्णु के साथ तुलसी के पौधे को जल चढ़ाने के साथ दीपक जलाएं। इसके साथ दशमी तिथि के दिन तुलसी के पौधे की सूखी लकड़ी जलाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। मां लक्ष्मी के साथ विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
विष्णु पुराण के पांचवा अंश के कार्तिक खंड और स्कंद पुराण का कार्तिक खंड में 24 तरह के दीपकों का उल्लेख है, जिसमें से सबसे सर्वश्रेष्ठ तुलसी के लकड़ी के दीपक को ही माना जाता है।
ऐसे जलाएं तुलसी की लकड़ी का दीपक
विष्णु और स्कंद पुराण के अनुसार, तुलसी की लकड़ी सूख गई है, तो उसे फेंके नहीं, बल्कि उसका इस्तेमाल करके भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर सकते हैं। कार्तिक मास की दशमी तिथि को तुलसी की लकड़ी का एक टुकड़ा लेकर घी में डुबो दें और इसे दीपक में जलाकर भगवान विष्णु के सामने रखकर अपनी कामना कह दें। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के ऊपर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की असीम कृपा होती है। इसके साथ ही उस व्यक्ति का दोबारा जन्म पृथ्वी पर नहीं होता है और वह हमेशा विष्णु जी के गोलोक में रहता है। इसके साथ ही महालक्ष्मी जी कृपा से सुख-समृद्धि, धन-संपदा के साथ खुशहाली की प्राप्ति होती है।
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