Kamada Ekadashi 2023 Upay: आज कामदा एकादशीका व्रत रखा जा रहा है। आज के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से दुख-दर्द से छुटकारा मिल जाता है। पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी को हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी कहा जाता है। आज भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ इन उपायों को करना शुभ होता है। आइए जानते हैं कि कामदा एकादशी कि दिन कौन से उपाय करना होगा शुभ।

कामदा एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ- 31 मार्च, शुक्रवार को रात 1 बजकर 58 मिनट पर
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आरंभ- 1 अप्रैल को रात 4 बजकर 19 मिनट पर तक

कामदा एकादशी 2023 उपाय

भगवान शिव की इस तरह करें पूजा

एकादशी के दिन भगवान शिव की पूजा करने का भी विधान है। माना जाता है कि एकादशी के दिन शिवलिंग में जल चढ़ाना शुभकारी होता है। शिवलिंग को जल चढ़ाते समय तीन बार स्वधा..स्वधा..स्वधा कहें। इसके अलावा आप चाहे, तो स्वधा स्तोत्र का पाठ कर लें। ऐसा करने से शिव जी अति प्रसन्न होंगे और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देंगे।

क्या है स्वधा स्तोत्र?

ब्रह्मा वैवर्त पुराण के प्रकृति खंड में भगवान ब्रह्मा द्वारा लिखा गया है। इस स्तोत्र को पढ़ने से घर में सुख-समृद्धि आती है। इस स्तोत्र को पितृपक्ष और श्राद्ध के दिनों में पाठ करने से पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

संपूर्ण स्वधा स्तोत्र

ब्रह्मोवाच

स्वधोच्चारणमात्रेण तीर्थस्नायी भवेन्नर:।
मुच्यते सर्वपापेभ्यो वाजपेयफलं लभेत्।।1।।
स्वधा स्वधा स्वधेत्येवं यदि वारत्रयं स्मरेत्।
श्राद्धस्य फलमाप्नोति कालस्य तर्पणस्य च।।2।।
श्राद्धकाले स्वधास्तोत्रं य: श्रृणोति समाहित:।
लभेच्छ्राद्धशतानां च पुण्यमेव न संशय:।।3।।
स्वधा स्वधा स्वधेत्येवं त्रिसन्ध्यं य: पठेन्नर:।
प्रियां विनीतां स लभेत्साध्वीं पुत्रं गुणान्वितम्।।4।।
पितृणां प्राणतुल्या त्वं द्विजजीवनरूपिणी।
श्राद्धाधिष्ठातृदेवी च श्राद्धादीनां फलप्रदा।।5।।
बहिर्गच्छ मन्मनस: पितृणां तुष्टिहेतवे।
सम्प्रीतये द्विजातीनां गृहिणां वृद्धिहेतवे।।6।।
नित्या त्वं नित्यस्वरूपासि गुणरूपासि सुव्रते।
आविर्भावस्तिरोभाव: सृष्टौ च प्रलये तव।।7।।
ऊँ स्वस्तिश्च नम: स्वाहा स्वधा त्वं दक्षिणा तथा।
निरूपिताश्चतुर्वेदे षट् प्रशस्ताश्च कर्मिणाम्।।8।।
पुरासीस्त्वं स्वधागोपी गोलोके राधिकासखी।
धृतोरसि स्वधात्मानं कृतं तेन स्वधा स्मृता।।9।।
इत्येवमुक्त्वा स ब्रह्मा ब्रह्मलोके च संसदि।
तस्थौ च सहसा सद्य: स्वधा साविर्बभूव ह।।10।।
तदा पितृभ्य: प्रददौ तामेव कमलाननाम्।
तां सम्प्राप्य ययुस्ते च पितरश्च प्रहर्षिता:।।11।।
स्वधास्तोत्रमिदं पुण्यं य: श्रृणोति समाहित:।
स स्नात: सर्वतीर्थेषु वेदपाठफलं लभेत्।।12।।
।।इति श्रीब्रह्मवैवर्तमहापुराणे प्रकृतिखण्डे ब्रह्माकृतं स्वधास्तोत्रं सम्पूर्णम्।।