शास्त्रों में कहा गया है कि जब-जब धरती पर पाप बढ़ेगा और धर्म की हानि होगी, तब-तब भगवान विष्णु कल्याण करने और पुनर्स्थापना के लिए अवतार लेंगे। हिंदू धर्म शास्त्रों में भगवान विष्णु के कुल 24 अवतारों का वर्णन किया गया है। इनमें से 23 अवतार अब तक पृथ्वी पर अवतरित हो चुके हैं, यानी अब भगवान का एक अवतार शेष है। हालांकि, 24 अवतारों में से भी 10 अवतार विष्णु जी के मुख्य अवतार माने जाते हैं। ये मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार, कृष्ण अवतार, बुद्ध अवतार और कल्कि अवतार हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जब कलयुग अपने अंतिम चरण पर होगा, तब भगवान विष्णु अपने 24वें रूप यानी ‘कल्कि रूप’ में पृथ्वी पर प्रकट होंगे और उस दिन से पुनः सतयुग प्रारंभ होगा। ऐसे में आइए जानते हैं कैसा होगा कल्कि अवतार का स्वरूप और कैसे धरती पर जन्म लेंगे नारायण-

कब होगा भगवान कल्कि का जन्म?

श्रीमद्भगवद्गीता पुराण के बारहवें स्कन्द में उल्लेख है कि भगवान का कल्कि अवतार कलयुग के अंत और सत्ययुग के संधि काल में होगा। भगवान विष्णु सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को कल्कि रूप में जन्म लेंगे। उनके अवतार लेते ही सतयुग का पुनः प्रारंभ होगा और कलयुग का अंत हो जाएगा। वहीं, मान्यताओं के अनुसार, कलियुग की अवधि 4 लाख 32 हजार वर्षों की है, जिसमें से 5,126 साल बीत चुके हैं और 4,26,875 साल शेष हैं। यानी भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होने में अभी करीब 426875 साल बाकी हैं।

श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक में छिपा है रहस्य

श्रीमद्भगवद्गीता पुराण के एक श्लोक में यह भी उल्लेख किया गया है विष्णु कहां जन्म लेंगे, जो कि इस प्रकार है-

सम्भल ग्राम मुख्यस्य, ब्राह्मणस्य महात्मनः। भवने विष्णु यशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति।।

अर्थात- संभल गांव में विष्णुयशा नाम के एक ब्राह्मण परिवार में कल्कि अवतार का जन्म होगा। भगवान कल्कि के पिता भगवान विष्णु के भक्त होंगे, वेदों और पुराणों के ज्ञाता होंगे और तब भगवान कल्कि उनके घर जन्म लेकर पाप का अंत करेंगे।

कैसा होगा रूप?

पुराण में उल्लेख है कि भगवान विष्णु का ये रूप 64 कलाओं से युक्त होगा। कल्कि अवतार देवदत्त नामक सफेद घोड़े पर सवार होकर पापियों का नाश और बुराई का अंत करेगा। इस तरह एक बार फिर धर्म की जीत होगी और उस दिन से फिर सतयुग प्रारंभ होगा।