Kajari Teej 2020: कजरी तीज इस साल 6 अगस्त को मनाई जा रही। यह व्रत पति की लम्बी उम्र और समृद्धि के लिए रखा जाता है। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की तृतीया को यह व्रत सुहागिन स्त्रियां और कुंवारी कन्याएं रखती हैं। कजरी तीज को लेकर तमाम मान्यताएं हैं, जैसे- इस दिन कैसे कपड़े पहनने चाहिए और किनसे बचना चाहिए। आइये जानते हैं…
मान्यताओं के मुताबिक तीज व्रती महिलाओं और कन्याओं को व्रत के दिन सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। इस दिन श्रृंगार का महत्व बहुत ज्यादा है। इसलिए इस दिन महिलाओं को अधिक श्रृंगार करना चाहिए। क्योकि श्रृंगार को सुहाग की निशानी माना जाता है। कजरी तीज के दिन झूठ न बोलें। न ही किसी को अपशब्द बोलें। झगड़े से बचें। इस दिन अन्न और जल ग्रहण न करें। यह व्रत निर्जला रखा जाता है। इस दिन व्रती कन्याओं और महिलाओं को मेहंदी जरूर लगानी चाहिए। साथ ही नीमड़ी माता को भी मेहंदी जरूर अर्पित करें। व्रत रखकर नाम जाप करें।
कजरी तीज की पूजा विधि (Kajari Teej Ki Puja Vidhi):
कजरी तीज व्रत कथा (Kajari Teej Vrat Katha) : एक गांव में एक निर्धन ब्राह्मण रहता था। उसकी एक पत्नी थी। भाद्रपद माह की तृतीया को उसने कजरी तीज व्रत रखना चाहा। ब्राह्मणी ने अपने पति से कहा कि चने का सत्तू लेकर आओ। ब्राह्मण ने उसे कहा कि पैसे नहीं है सत्तू कैसे लाऊं। ब्राह्मणी ने कहा चाहे चोरी करो या डाका डालो, लेकिन मेरे लिए सत्तू लेकर आओ।
Kajari Teej 2020: कजरी तीज को बूढ़ी तीज भी कहते हैं-
पत्नी का हठ सुनकर ब्राह्मण घर से निकलकर साहूकार की दुकान में घुस गया। वहां से जरूरत के हिसाब से सत्तू लिया और जाने लगा। जैसे ही वो वहां से निकलने लगा, आवाज हुई। आवाज से नौकर जागे और चोर-चोर चिल्लाने लगे। आवाज सुनकर साहूकार आया और ब्राह्मण को पकड़ लिया। ब्राह्मण ने साहूकार को चोरी की वजह बताई। जब साहूकार ने तलाशी ली तो देखा कि ब्राह्मण ने सिर्फ व्रत के लिए सत्तू ही लिया था। तब तक चंद्रोदय हो गया ब्राह्मणी अर्घ्य देने के लिए अपने पति का इंतजार करने लगी।
साहूकार ने कहा कि मैं तुम्हारी गरीबी और व्रत के प्रति श्रद्धा को समझता हूं। मैं तुम्हारी पत्नी को अपनी धर्म बहन मानता हूं। साहूकार ने ब्राह्मण को खूब सारे गहने और भोजन देकर विदा किया। इससे ब्राह्मण दंपती के दिन बदल गए। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से जिस तरह ब्राह्मण के दिन बदल गए वैसे सबके दिन अच्छे हो जाते हैं।