Kaal Sarp Dosh: जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं तो ज्योतिष शास्त्र इस योग को काल सर्प दोष का नाम दिया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में इस योग को शुभ फल देने वाला नहीं माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष लग जाता है उसे सफलता बहुत देरी से मिलती है। ऐसे व्यक्ति को हर काम में बाधा का सामना करना पड़ता है। कहते हैं कि ऐसा व्यक्ति जैसे ही सफलता को अपनी ओर आते देखता है वैसे ही सफलता उससे दूर होनी शुरू हो जाती है।
क्यों होते हैं इससे प्रभावित – किसी भी व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष लगने की वजह राहु-केतु हैं। यह दोनों राक्षस थे जिन्होंने अमृत पीकर अमरता प्राप्त की थी। लेकिन बताया जाता है कि अमृत पीने के बावजूद भी यह स्वभाव से पहले जैसे ही रहे। जिस भी व्यक्ति की कुंडली में यह चारों ओर से ग्रहों को घेर कर बैठ जाते हैं उसे मानसिक अशांति, रोग, दोष, जादू-टोना और हड्डियों के रोगों को झेलना पड़ता है।
इस दोष से पीड़ित व्यक्ति को कई कोशिशों के बाद भी सफलता प्राप्त नहीं हो पाती है। उस व्यक्ति के हर काम में बाधा आ जाती है। इन सब योगों की वजह से कई बार लोग मानसिक अशांति महसूस करने लगते हैं। बताया जाता है कि कुंडली में राहु-केतु के बलवान होने से व्यक्ति को डिप्रेशन का शिकार भी होना पड़ सकता है।
काल सर्प दोष से डर – काल सर्प दोष से लोग बहुत डरते हैं। बताया जाता है कि इस दोष की वजह से ना केवल करियर बल्कि स्वास्थ्य, विवाह, संतान और शिक्षा आदि भी प्रभावित हो सकते हैं। यह दोष व्यक्ति को खुशियों और सफलता से दूर करता है। इसकी वजह से कई लोग आजीवन प्रयास करने के बावजूद भी कभी सफल नहीं हो पाते हैं और उन्हें हमेशा प्रयासों में निराशा ही हाथ लगती है।
किसकी करनी चाहिए आराधना – काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को भगवान शिव, राहु-केतु और कर्कोटक आदि की आराधना करनी चाहिए। बताया जाता है कि इनकी उपासना और मंत्र जाप से इस दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है। आप चाहें तो काल सर्प निवारण पूजा भी करवा सकते हैं।
