कथा वाचन और भजनों के लिए मशहूर जया किशोरी के लाखों प्रशंसक हैं। कृष्ण भजन, श्रीमद् भागवत कथा और ‘नानी बाई रो मायरा’ से अपनी पहचान बनाने वालीं जया किशोरी 6 साल की उम्र से भगवान कृष्ण की भक्त रही हैं। 13 जुलाई 1995 को कोलकाता में जन्मीं जया किशोरी समाजिक कार्यों में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए जानी जाती हैं। वे कथा वाचन और भजन से मिले पैसों का बड़ा हिस्सा दिव्यांगों की मदद के लिए खर्च करती हैं।

जया किशोरी की ऑफिशियल वेबसाइट की मानें तो वे लड़कियों की पढ़ाई-लिखाई के लिए उनकी मदद को हमेशा तैयार रहती हैं। वे कहती हैं कि जिस तरह उनके परिवार ने उन्हें पढ़ने के लिए सहयोग किया, उसी तरह सबके माता-पिता सहयोग नहीं कर पाते हैं। इसीलिये वे ऐसी बेटियों की मदद को हाथ बढ़ाती रहती हैं। आपको बता दें कि जया किशोरी प्रधानमंत्री मोदी के अभियान ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का भी पुरजोर समर्थन करती रही हैं।

इसके अलावा जया किशोरी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी काम करती रही हैं। वे अपनी कथाओं में अक्सर कहती हैं कि पेड़-पौधों और पर्यावरण को अपने बच्चे की तरफ प्यार करना चाहिए। वे तमाम राज्यों में पौधरोपण कार्यक्रण भी संचालित करती रही हैं। जया किशोरी कहती हैं कि पर्यावरण को बचाकर ही हम ग्लोबल वॉर्मिंग, वायु प्रदूषण और इससे जुड़ी बीमारियों से बच सकते हैं।

जया किशोरी को भजन और कथा के अलावा योग के प्रचार-प्रसार के लिए भी जाना जाता है। वे कहती हैं कि स्वस्थ दिमाग से ही शरीर के स्वस्थ रहने की शुरुआत करता है। वे अपनी कथाओं मे लोगों से दैनिक जीवन में योग को शामिल करने की अपील भी करती रहती हैं। उनका कहना है कि ऐसा करने से उनकी मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक ऊर्जा बढेगी।

आपको बता दें कि फेम इंडिया एशिया पोस्ट सर्वे 2019 का यूथ आइकॉन अवॉर्ड हासिल कर चुकीं जया किशोरी के फेसबुक और यू-ट्यूब पेज पर लाखों फॉलोअर हैं। सिर्फ 25 साल की उम्र में ही अपने भजनों के जरिये उन्होंने अपनी एक खास पहचान बना ली है। रिपोर्ट्स की मानें तो जया किशोरी जब 9 साल की थीं तभी रामाष्टकम्, लिंगाष्टकम और शिव तांडव स्तोत्र का पाठ याद कर लिया था। बाद में उन्होंने पण्डित गोविंदराम मिश्र से आध्यात्म की दीक्षा ली।