कथावाचिका और भजनगायिका जया किशोरी सिर्फ देश ही नहीं, विदेशों में भी फेमस हैं। साल 1996 में जन्मीं जया करीब 9 साल की उम्र से ही आध्यात्म से जुड़ी हुई हैं। यूं तो उनका नाम जया शर्मा है, लेकिन अपने प्रशंसकों के बीच वे जया किशोरी के नाम से ही जानी जाती हैं। जया किशोरी जी लाइफ मैनेजमेंट टिप्स और मोटिवेशनल स्पीच के लिए चर्चित हैं। वे जीवन से जुड़े अलग-अलग विषयों पर समय-समय पर सेमिनार और वेबिनार के जरिये अपनी बात रखती रहती हैं। सोशल मीडिया पर उनके फॉलोवर्स लाखों में हैं, जो कभी सवाल पोस्ट करके तो कभी उनके लाइव के दौरान उनसे अपने मन की दुविधा पूछते हैं।
परिवार में कौन-कौन है?: छोटी सी उम्र में ही भागवत गीता, नानी बाई का मायरो, नरसी का भात जैसी कथाएं सुनाकर प्रसिद्ध हुईं जया किशोरी की निजी जिंदगी में काफी चर्चा में रहती है। बता दें कि उनका परिवार कोलकाता में रहता है। जया किशोरी के पिता (Jaya Kishori Ji Father) का नाम शिव शंकर शर्मा है, जबकि मां का नाम सोनिया शर्मा है। वहीं, उनकी एक बहन भी हैं जिनका नाम चेतना शर्मा है।
शादी के लिए रखी है खास शर्त: जया किशोरी के प्रशंसक उनकी निजी जिंदगी के बारे में जानने को भी उत्सुक रहते हैं। मसलन वो शादी कब रही हैं, कौन-कौन दोस्त हैं, परिवार के साथ कैसी बॉन्डिग है आदि। इंटरनेट पर भी ऐसे सवालों को खूब सर्च किया जाता है। सोशल मीडिया पर भी उनकी शादी को लेकर भी अक्सर सवाल किये जाते हैं। जया किशोरी ने ऐसे ही एक वीडियो में अपनी शादी से जुड़ी बातों पर चर्चा की है।
संस्कार टीवी द्वारा साझा किये गए इस वीडियो में जया किशोरी कहती हैं कि अगर उनकी शादी कोलकाता में ही होती है, तो ये उत्तम होगा। ऐसे में वो कभी भी अपने घर आकर खा सकती हैं। लेकिन अगर वो ब्याह कर कहीं और जाती हैं तो उनकी शर्त ये है कि उनके माता-पिता भी उसी जगह शिफ्ट होंगे। इससे उनके माता-पिता भी वहीं कहीं आसपास घर लेकर उनके साथ रह सकते हैं।
बचपन में शरारती नहीं, खुद को मानती थीं चंचल: एक दूसरे क्लिप में अपने बचपन को याद करते हुए जया किशोरी बताती हैं कि छुटपन में वो शरारती नहीं थी, लेकिन चंचल थीं। वो कहती हैं कि बचपन में उन्होंने बदमाशियां नहीं की हैं। हालांकि, उनके पैर कभी भी एक जगह नहीं टिकते थे।
पड़ोसियों के घर आना-जाना करती रहा करती थीं। वो कहती हैं कि इधर-उधर जाने के कारण ही शुरू से ही उनके अपने पड़ोसियों से बेहद अच्छे संबंध रहे हैं। एक जगह बैठने के बजाय वो हर वक्त कुछ न कुछ करती रहती थीं।