जया किशोरी भारत की जानी मानी कथावाचिका हैं। बेहद ही कम उम्र में ये सफलता की उन बुलंदियों पर पहुंच चुकी हैं जहां तक पहुंचने में लोगों को कई साल लग जाते हैं। जया किशोरी ने अपने आध्यत्मिक सफर की शुरुआत 7 साल की उम्र में ही कर दी थी। बचपन से ही भगवान श्री कृष्ण के प्रति इनकी अटूट आस्था थी। अपने परिवार के बड़े बुजुर्गों से इन्होंने श्री कृष्ण से संबंधित कई कहानियां सुनी थी। इसलिए इनका झुकाव भक्ति की तरफ बढ़ता चला गया। आज इन्होंने आध्यात्म के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना ली है। जानिए जया किशोरी अपनी सफलता का श्रेय किसे देती हैं।

जया किशोरी का वास्तविक नाम जया शर्मा है। इनका जन्म 13 जुलाई 1995 में हुआ है। इनका जन्म राजस्थान के गांव सुजानगढ़ में एक गौड़ ब्राह्माण परिवार में हुआ था। राजस्थान में जन्मीं जया किशोरी कोलकाता में अपने परिवार सहित रह रही है। इनके पिता का नाम शिंव शंकर शर्मा और माता का नाम सोनिया शर्मा है। इनकी एक छोटी बहन भी हैं जिनका नाम चेतना शर्मा है। जया किशोरी ने बीकॉम की पढ़ाई की है।

छोटी सी उम्र से ही जया किशोरी ने भागवत गीता, नानी बाई का मायरो, नरसी का भात जैसी कथाएं कर रही हैं। 9 साल की उम्र में ही जया किशोरी ने संस्कृत में लिंगाष्टकम, शिव तांडव स्तोत्रम्, श्रीरूद्राष्टकम्, रामाष्टकम्, मधुराष्टकम्, शिवपंचाक्षर स्तोत्रम्, दारिद्रय दहन शिव स्तोत्रम् जैसे कई कठिन स्तोत्रों को गाना शुरू कर दिया था। फिर 10 साल की उम्र में सुंदरकांड गाकर इन्होंने लाखों लोगों के दिलों में अपना विशेष स्थान बना लिया। जीवन में ये 3 गलतियां करने से बचें, जानिए क्या कहती हैं जया किशोरी

आज के समय में जया किशोरी की कथाओं, भजनों के अलावा इनकी पर्सनल लाइफ के बारे में भी इंटरनेट पर खूब सर्च किया जाता है। छोटी सी उम्र में ही सफलता के ऐसे मुकाम पर पहुंचने का श्रेय जया किशोरी अपने माता-पिता को देती हैं। जया किशोरी ने संस्कार चैनल को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि उनके आध्यात्मिक जीवन में माता-पिता का विशेष योगदान रहा है। जया किशोरी कहती हैं; कि वो 7 साल की थी जब उन्होंने अपने आध्यात्मिक सफर की शुरुआत की थी। लेकिन इनके घर के बड़ों को बेटी का घर से बाहर जाना नहीं अच्छा लग रहा था। जिसका सामना माता-पिता को करना पड़ता था।

आगे जया किशोरी कहती हैं कि वो बहुत लकी हैं कि उन्हें ऐसे माता-पिता मिले जिन्होंने मेरी कला को छोटी सी उम्र में पहचाना और उसी वक्त से मुझे आगे बढ़ाया। और उत्साहित किया। इसलिए शायद जो लोग मुझे कहते हैं कि छोटी उम्र में आप इस स्थान पर हैं वो इसलिए है कि बहुत छोटी उम्र में मेरे माता पिता ने उस कला को पहचान लिया था और फिर अपने आप ही उन्होंने मुझे इस कार्य को करने के लिए प्रेरित किया।