इस साल जन्माष्टमी का त्योहार देश में 11, 12 और 13 अगस्तक को मनाया जा रहा है। मुरली मनोहर के भक्त साल भर इस दिन का बेसब्री से इंतजार करें। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि के समय हुआ था। प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के त्योहार को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि श्री कृष्ण भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। जिन्होंने द्वापर युग में अनेकों राक्षसों का वध किया था।
Krishna Ji Ki Aarti: यहां पढ़े श्री कृष्ण जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी
इस दिन का महत्व: भगवान श्री कृष्ण ने ही कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। आज पूरी दुनिया गीता के ज्ञान का लाभ ले रही है। हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण को मोक्ष देने वाला माना गया है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के भक्त अपने ईष्ट देव को प्रसन्न करने के लिए पूरी श्रद्धा के साथ श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं। देश-विदेश में श्री कृष्ण के अनेकों भक्त हैं जो इस दिन को खूब धूमधाम से मनाते हैं।
हालांकि, इस कोरोना काल में हर कोई अपने घर पर रहने को मजबूर है। ऐसे में भक्त घर पर ही भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन हैं। जन्माष्टमी के खास मौके पर भक्त कान्हा की आरती भी करते हैं। आइए जानते हैं भगवान कृष्ण की आरती –
भगवान कृष्ण की आरती:
आरती कुंजबिहारी की, गिरिधर कृष्ण मुरारी की ।
गले में बैजन्तीमाला, बजावैं मुरली मधुर बाला ॥
श्रवण में कुंडल झलकाता, नंद के आनंद नन्दलाला की ।।आरती…।।
गगन सम अंगकान्ति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली, भ्रमर-सी अलक कस्तूरी तिलक।।
चंद्र-सी झलक, ललित छबि श्यामा प्यारी की ।।आरती…।।
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन से सुमन राशि बरसै, बजै मुरचंग, मधुर मृदंग।।
ग्वालिनी संग-अतुल रति गोपकुमारी की।।आरती…।।
जहां से प्रगट भई गंगा, कलुष कलिहारिणी श्री गंगा।
स्मरण से होत मोहभंगा, बसी शिव शीश, जटा के बीच।।
हरै अघ-कीच चरण छवि श्री बनवारी की।।आरती…।।
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिशि गोपी ग्वालधेनु, हंसत मृदुमन्द चांदनी चंद।।
कटत भवफन्द टेर सुनु दीन भिखारी की।।आरती…।।