कृष्ण जन्माष्टमी 24 अगस्त को पूरे देश में मनाया जा रहा है। कृष्ण नगरी मथुरा (Mathura) से लेकर इस्कॉन मंदिर (ISKCON Temple) तक सभी स्थानों पर झांकी सजाने और जन्म की तैयारियां जोरों पर हैं। इस बीच देश में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां जन्माष्टमी पर कृष्ण का स्वागत और दुलार कुछ अलग अंदाज में होता है। राजस्थान के नाथद्वारा (Nathdwara) में जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) को 21 तोपों की सलामी दी जाती है। वहीं उज्जैन के श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में जन्म के बाद कोई आरती नहीं की जाती।

राजस्थान के नाथद्वारा में कृष्ण जन्माष्टमी पर तोपों की सलामी पर जो उत्साह होता है, वहीं उसके अगले दिन नंद महोत्सव मनाया जाता है। इसमें आदिवासियों के भोग लूटने की परंपरा है। यहां श्रीकृष्ण के जन्म के बाद शंख ध्वनि, थाली, मादल, घंटे, घड़ियाल, झांझ, मृदंग, सारंगी और बाजे से स्वागत किया जाता है। रात ठीक 12 बजे एक साथ इतने वाद्य यंत्रों से वातावरण गुंजायमान हो जाता है। इसके बाद मोतीमहल की प्राचीर से बिगुल बजाकर श्रीकृष्ण जन्म की घोषणा होती है। फिर श्रीनाथजी की फौज यानी गोविंद की पलटन इसे सुनते ही यहां रखी 400 साल पुरानी तोप से 21 गोले दागकर बाकायदा सलामी देते हैं।

अब बात उज्जैन की। यहां की परंपरा है कि श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में बाल गोपाल के जन्म के पश्चात कोई उनकी आरती नहीं उतारता। यही नहीं चक्रधारी कृष्ण के भजन पांच दिनों तक नहीं होते और यह परंपरा पिछले 110 सालों से चली आ रही है। यहां ये माना जाता है कि कान्हा जन्म के बाद अगले पांच दिनों तक सोते नहीं हैं। इसी वजह से यहां होने वाली रोजाना शयन आरती पांच दिनों तक नहीं होती।

रात 12 बजे आज कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में बाल गोपाल का जन्म होगा। जन्मोत्सव इस्कॉन मंदिर में भी भव्य तरीके से मनाया जा रहा है। दिल्ली में तो दुनिया की सबसे बड़ी गीता को बतौर झांकी रखा गया है।

वहीं मथुरा से भारतीय जनता पार्टी की सांसद हेमा मालिनी मुंबई के इस्कॉन मंदिर पहुंचीं जहां उन्होंने हरे राम हरे कृष्णा की धुन पर सुर लगाया। इसका वीडियो किसी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम पर शेयर कर दिया।