हिंदू धर्म में जन्माष्टमी एक मुख्य त्योहार है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। पुराणों के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण ने अपने अत्याचारी मामा कंस का विनाश करने के लिए मुथरा में अवतार लिया था। इस दिन व्रत भी रखा जाता है। बताया जाता है कि इस दिन हर एक व्यक्ति को व्रत रखना होता है। हालांकि, बुजुर्ग, रोगी और बच्चों को इस मामले में छूट है।

जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने के लिए कोई खास नियम नहीं हैं। इस दिन कुछ लोग निर्जल व्रत रखते हैं तो वहीं कुछ लोग फलाहार के साथ ही उपवास रखते हैं। निर्जल व्रत में लोग पूरे दिन कुछ भी खाते और पीते नहीं है। यहां तक की पानी का सेवन भी नहीं किया जाता। लोगों को मानना है कि इस दिन पानी और खाना त्याग देने से भगवान श्री कृष्ण खुश होंगे। मानना है कि इस दिन व्रत करने से मुन की मुरादें पूरी होती हैं। इस दिन उपवास आधी रात में खोला जाता है। व्रत खत्म करने से पहले भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है और उन्हें पकवानों का भोग लगाया जाता है।

जो श्रद्धालू निर्जल व्रत नहीं रख पाते, वो फलाहार के साथ उपवास रखते हैं। यह उपवास निर्जल व्रत जितना कठिन नहीं है। इसमें श्रद्धालू दूध और फलों का सेवन कर सकते हैं। हालांकि, जन्माष्टमी के दिन अनाज और नमक का सेवन नहीं करना होता है। निर्जल या फलाहार व्रत रखने वाले श्रद्धालू इस दिन भजन गाकर श्री कृष्ण की भक्ति करते हैं। इसके साथ ही इस दिन ‘ओम नमो भगवते वासुदेवा’ मंत्र का जाप करते हैं। वहीं कुछ लोग इस दिन श्रीमद भागवत पुराण भी व्रत के दौरान पढ़ते हैं।

जन्माष्टमी के दिन श्रद्धालू भगवान श्री कृष्ण को विशेष मिठाई पेड़े और कलाकंद चढ़ाते हैं। इसके अलावा श्रीखंड और तिल की खीर का भोग भी लगाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण को दूध से बनी चीजें बहुत पसंद थीं। ऐसे में इस मौके पर भगवान श्री कृष्ण को दूध से बनी मिठाईयां चढ़ाई जाती हैं। श्रद्धालू भगवान को प्रसाद चढ़ाने के बाद भी खुद सेवन करते हैं।