सुहागिनों का खास पर्व हरतालिका तीज 2 सितंबर को मनाया जा रहा है। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को हस्त नक्षत्र में इस व्रत को रखा जाता है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए तो कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती हैं। उपवास रखने वाली महिलाएं इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। यहां जानें इस व्रत से संबंधी सारी जानकारी…

तीज शुभ मुहूर्त – अगर आप 02 सितंबर को व्रत कर रही हैं तो सूर्योदय होने के बाद दो घंटे के अंदर तीज पूजन कर लें।

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व्रत कैसे करें – यह व्रत निर्जला रखा जाता है। यानी कि व्रत वाले दिन भोजन और पानी कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता है। लेकिन कई जगह शाम को पूजा के बाद महिलाएं जल ग्रहण कर फलाहार कर लेती हैं और फिर अगले दिन विधि विधान पूजा के साथ व्रत का पारण कर अन्न ग्रहण किया जाता है।

व्रत के दिन क्या करें – तीज के दिन व्रत करने वाली महिलाओं को नए कपड़े पहनने चाहिए। क्योंकि यह बेहद जरूरी है कि साफ़-सुथरे और शुद्ध कपड़े पहनकर ही पूजा की जाए। तीज में सबसे ज्यादा हरे रंग की साड़ी पहनी जाती है क्योंकि तीज पूजा शिव जी के लिए की जाती है और भगवान शिव को हरे रंग प्रिय है। इस दिन महिलाएं रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर सोलह श्रृंगार करती हैं। इस दिन महिलाएं हाथों में मेहंदी भी लगाती हैं, जिसे सुहाग की निशानी माना जाता है।

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व्रत पूजा सामग्री – बेल पत्र, केले के पत्ते, धतूरा, अंकव पेड़ के पत्ते, तुलसी, शमी के पत्ते, काले रंग की गीली मिट्टी, जनैव, धागा, पानी, नारियल, मदार के फूल, गेंदे के फूल, गुलाब का फूल, भोलेनाथ के अभिषेक के लिए पंचामृत।

मां पार्वती के श्रंगार की सामग्री- चूड़ियां, सिंदूर, बिछुआ, मेहंदी, सुहाग पूड़ा, कुमकुम, कंघी, सुहागिन के श्रृंगार की सभी वस्तुएं, इसके अलावा श्रीफल, कलश, अबीर, चंदन, तेल, घी, कपूर इत्यादि।

हरतालिका तीज पूजा विधि – हरतालिका तीज व्रत में मां पार्वती और शिव जी की पूजा होती है। इस व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है…

– हरतालिका तीज के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा बना लें।

– पूजास्थल को फूलों से सजा लें और एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें।

– इसके बाद देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का पूजन करें।

– सुहाग की वस्तुएं माता पार्वती को चढ़ाएं और शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है। इस सुहाग सामग्री को सास के चरण स्पर्श करने के बाद किसी ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान कर दें।

– पूजन के बाद हरतालिका तीज व्रत कथा पढ़ें या सुने और रात्रि में जागरण करें। फिर अगले दिन सुबह माता पार्वती को सिन्दूर चढ़ाएं व ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत का पारण कर लें।

मंत्र – हरतालिका तीज व्रत पूजन के समय भगवती-उमा की अर्चना के लिए निम्न मंत्रों का प्रयोग करें- ऊँ उमायै नम:, ऊँ पार्वत्यै नम:, ऊँ जगद्धात्र्यै नम:, ऊँ जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ऊँ शांतिरूपिण्यै नम:, ऊँ शिवायै नम:।

भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों के जाप से करें – ऊँ हराय नम:, ऊँ महेश्वराय नम:, ऊँ शम्भवे नम:, ऊँ शूलपाणये नम:, ऊँ पिनाकवृषे नम:, ऊँ शिवाय नम:, ऊँ पशुपतये नम:, ऊँ महादेवाय नम:।