Hartalika Teej 2021 Vrat Vidhi, Muhurat, Katha: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज मनाई जाती है। मान्यता है इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कहा जाता है सबसे पहले ये व्रत माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए किया था। इस व्रत से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ये व्रत कुंवारी कन्याओं द्वारा भी योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। जानिए हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त, कथा और नियम।
हरतालिका तीज पर बना शुभ योग: इस बार हरतालिका तीज पर रवि योग रहेगा। ज्योतिष अनुसार ये योग 14 साल बाद इस दिन बन रहा है। हरतालिका व्रत की पूजा इस वर्ष रवि योग में की जाएगी।
व्रत की पूजा सामग्री: मूर्ति बनाने के लिए गीली काली मिट्टी, फूल, फल, बताशे, मेवा, कपूर, बेलपत्र, केले का पत्ता, पान, कुमकुम, प्रतिमा को स्थापित करने के लिए लकड़ी का पाटा, पीला कपड़ा, पूजा के लिए नारियल और माता के लिए चुनरी।
दान करने की सामग्री: हरितालिका तीज व्रत में सुहाग की सामग्री चढ़ाई जाती है। जिसमें मेहंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, श्रीफल, कलश, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, अबीर, चंदन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम और दीपक। (यह भी पढ़ें- प्रेग्नेंट महिलाएं कैसे रखें हरतालिका तीज व्रत? जानिए व्रत से जुड़े सभी जरूरी सवालों के जवाब यहां)
हरतालिका तीज पूजा विधि:
-सबसे पहले गीली मिट्टी से माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की प्रतिमा बना लें।
-फिर उसे फूलों से सजाएं। प्रतिमाओं को सूखने दें।
-इसके बाद लकड़ी की चौकी लें और उस पर पीला कपड़ा बिछाएं।
-तीनों प्रतिमाओं को इस पर स्थापित करें।
-फिर चौकी पर दाईं तरफ चावल से अष्टकमल बनाएं और उस पर कलश स्थापित करें।
-कलश के ऊपर स्वास्तिक बनाएं और उसके अंदर जल भरकर सुपारी, सिक्का और हल्दी डाल दें।
-मूर्तियों का विधि विधान अभिषेक करें और मां पार्वती को सुहाग की सामग्री चढ़ाएं। शिव जी को धोती व गमछा चढ़ाएं।
-माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं और उस सिंदूर को अपनी मांग में भी लगा लें।
-पति के चरण स्पर्श कर दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त करें।
-हरतालिका तीज में 16 श्रृंगार का विशेष महत्व होता है। इसलिए इस दिन महिलाएं अच्छे से सजती संवरती हैं। (यह भी पढ़ें- हरतालिका तीज व्रत कथा को पढ़ अपना व्रत करें पूरा)
हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त: हरतालिका तीज की शुरुआत 9 सितंबर को सुबह 2.33 बजे से हो चुकी है और इसकी समाप्ति 10 सितंबर को 12.18 बजे होगी। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6.33 बजे से शुरू होकर शाम 8.51 बजे तक रहेगा। महिलाएं इस मुहूर्त के अंदर ही पूजा संपन्न कर लें।
नवविवाहिताएं जिस तरह पहली बार व्रत रखेंगी, उन्हें हमेशा उसी प्रकार हरतालिका तीज का व्रत करना होगा। इसलिए इस बात का ध्यान रखना है कि पहले व्रत से जो नियम आप उठाएं उनका पालन करें। अगर निर्जला ही व्रत रखा था तो फिर हमेशा निर्जला ही व्रत रखें। आप इस व्रत में बीच में पानी नहीं पी सकते।
भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति रखने के लिए प्लेट
जिस पर पूजा की जाएगी लकड़ी का पाटा
लकड़ी के पाटे पर बिछाने के लिए लाल या पीले रंग का कपड़ा
पूजा के लिए नारियल
पानी से भरा कलश
आम के पत्ते
घी
दिया
अगरबत्ती और धूप
दीप जलाने के लिए देसी घी
आरती के लिए कपूर
पान के पत्ते
सुपारी
केले
दक्षिणा
बेलपत्र
धतूरा
शमी की पत्तियां
जनेऊ
चंदन
माता के लिए चुनरी
सुहाग का सामान
मेंहदी
काजल सिंदूर
चूड़ियां, बिंदी
गौर बनाने के लिए मिट्टी और पंचामृत
हरतालिका तीज का व्रत बेहद कठिन व्रत माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि व्रत रखने वाली महिलाओं को रात को नहीं सोना चाहिए। व्रत के दौरान पूरी रात जागरण किया जाता है। इस दौरान भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा और अर्चना की जाती हैं।
शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ।
अंत काल को भवसागर में उसका बेड़ा पार हुआ॥
भोले शंकर की पूजा करो,
ध्यान चरणों में इसके धरो।
हर हर महादेव शिव शम्भू।
हर हर महादेव शिव शम्भू॥
नाम ऊँचा है सबसे महादेव का,
वंदना इसकी करते है सब देवता।
इसकी पूजा से वरदान पातें हैं सब,
शक्ति का दान पातें हैं सब।
नाथ असुर प्राणी सब पर ही भोले का उपकार हुआ।
अंत काल को भवसागर में उसका बेडा पार हुआ॥
शास्त्रों के अनुसार, हिमवान की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए बालकाल में हिमालय पर्वत पर अन्न त्याग कर घोर तपस्या शुरू कर दी थी। इस बात पार्वती जी के माता-पिता काफी परेशान थे। तभी एक दिन नारद जी राजा हिमवान के पास पार्वती जी के लिए भगवान विष्णु की ओर से विवाह का प्रस्ताव लेकर पहुंचे। माता पार्वती ने यह शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया।
पार्वती जी ने अपनी एक सखी से कहा कि वह सिर्फ भोलेनाथ को ही पति के रूप में स्वीकार करेंगी। सखी की सलाह पर पार्वती जी ने घने वन में एक गुफा में भगवान शिव की अराधना की। भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र में पार्वती जी ने मिट्टी से शिवलिंग बनकर विधिवत पूजा की और रातभर जागरण किया। पार्वती जी के तप से खुश होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था।
शास्त्रों के अनुसार, हरतालिका तीज व्रत में भगवान शंकर और माता पार्वती से जुड़ी कथा का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि बिना व्रत कथा के यह व्रत अधूरा रहता है। इसलिए हरतालिका तीज व्रत रखने वाले को कथा जरूर सुननी या पढ़नी चाहिए।
ओजस्वी-तेजस्वी बने रहेंगे। राजनीतिक लाभ मिल रहा है। सरकारी तंत्र साथ चल रहा है। धनागमन हो रहा है। कुटुम्बीजनों में वृद्धि होगी। शुभ समय है। बच्चों की सेहत पर ध्यान दें। निवेश करने से बचें। पीली वस्तु पास रखें।
राहुकाल- आज 9 सितंबर को दोपहर 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक
यमगंड- आज गुरुवार को सुबह 07 बजकर 30 मिनट से 09 बजे तक
गुलिक काल- गुरुवार को सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक
दुर्मुहूर्त काल- आज 9 सितंबर को दोपहर 11 बजकर 53 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक
वर्ज्य काल- आज 9 सितंबर दिन बृहस्पतिवार को मध्यरात्रि 11 बजकर 50 मिनट से 01 बजकर 20 मिनट तक
हरतालिका तीज पर महंदी लगाना जरूरी माना जाता है। आप ये खूबसूरत डिजाइन अपने हाथ पर बना सकती हैं।
इस व्रत में भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मिट्टी से प्रतिमाएं स्थापित कर पूजा की जाती है। माता पार्वती को सुहाग की वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं और उसे दान कर दिया जाता है। शिव जी और गणेश भगवान को वस्त्र आदि भेंट किये जाते हैं।
हरतालिका तीज पूजा तृतीया तिथि में ही करनी चाहिए। इसके लिए गोधली और प्रदोष काल का समय सबसे उत्तम माना जाता है। चतुर्थी तिथि में पूजा मान्य नहीं इस तिथि में सिर्फ पारण किया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, हरतालिका तीज व्रत में भगवान शंकर और माता पार्वती से जुड़ी कथा का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि बिना व्रत कथा के यह व्रत अधूरा रहता है। इसलिए हरतालिका तीज व्रत रखने वाली महिलाओं को व्रत कथा जरूर सुननी या पढ़नी चाहिए।
हरतालिका तीज की शुरुआत 9 सितंबर को सुबह 2.33 बजे से हो चुकी है और इसकी समाप्ति 10 सितंबर को 12.18 बजे होगी। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6.33 बजे से शुरू होगा।
दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ाने के लिए इस दिन पूजा करने के बाद स्वयं खीर बनाएं और उसे मां पार्वती को भोग चढ़ा दें। पूजा प्रारंभ होने के बाद इस खीर को प्रसाद के रूप में अपने पति को खिलाएं और अपना उपवास खोलने के बाद स्वयं भी वही खीर खाएं। मान्यता है ऐसा करने से आपके दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ेगा।
सिंजारा का अर्थ होता है सुहाग का सामान। जब सुहागिन महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं तो उनके ससुराल से सिंजारा यानी कि श्रृंगार का सामान, वस्त्र, आभूषण, मेहंदी, मिठाई मायके भेजी जाती हैं। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी और पैरों में आलता लगाकर सोलह श्रृंगार करके नए वस्त्र पहन कर तैयार होती हैं और शाम के समय मां पार्वती की पूजा करती हैं। इसके अलावा हरतालिका तीज पर सुहागन महिलाएं अपनी सांस के पांव छूकर उन्हें सुहाग का सामान देती हैं।
माँ पार्वती के लिए मंत्र
ओम् उमयेए पर्वतयेए जग्दयेए जगत्प्रथिस्थयेए स्हन्तिरुपयेए स्हिवयेए ब्रह्म रुप्नियेए”
“om umayī parvatayī jagdayī jagatprathisthayī śantirupayī śivayī brahma rupniyī”
भगवान शिव के लिए मंत्र
“ओम् ह्रयेए महेस्ह्अरयेए स्हम्भवे स्हुल् पद्येए पिनक्ध्रस्हे स्हिवये पस्हुपतये महदेवयअ नमह्”
“om hrayī maheśvarayī śambhave śul padyī pinakdhraśe śivaye paśupataye mahadevayā namah”
यह दो शब्दों के मेल से बना है हरत एवं आलिका। हरत का मतलब हरण से है और आलिका का मतलब सखियों से हैं। मान्यता है कि इस दिन सखियां माता पार्वती की सहेलियां उनका हरण कर उन्हें जंगल में ले गई थीं। जहां माता पार्वती ने भगवान शिव को वर रूप में पाने के लिये कठोर तप किया था। इस तीज को मनाने की वजह ये है कि जब जंगल में स्थित गुफा में माता पार्वती भगवान शिव की कठोर आराधना कर रही थी तो उन्होंने रेत के शिवलिंग को स्थापित किया था। मान्यता है कि यह शिवलिंग माता पार्वती द्वारा हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि को स्थापित किया था इसी कारण इस दिन को हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाता है।
-हरतालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है।
-हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण किया जाता है। रात में भजन-कीर्तन करना चाहिए।
-हरतालिका तीज व्रत कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं।
गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली महिलाएं निर्जला व्रत बिल्कुल भी न रखें। कुछ न कुछ पेय पदार्थ लेते रहें। नारियल पानी, दूध, जूस, लस्सी इत्यादि पेद पदार्थ लेते रहें ताकि शरीर में जरूरी तत्वों की कमी न हो पाए। व्रत में भी हर दो घंटे में फलाहार लेती रहें। पानी अधिक से अधिक पिएं। चाय कॉफी से परहेज करें क्योंकि इससे गैस की समस्या हो सकती है। बच्चे की मूवमेंट पर ध्यान देती रहें।
