Hanuman Jayanti 2025, Hanuman Ji Katha: हिंदू धर्म में हनुमान जयंती का विशेष महत्व है। ह साल चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को पवन पुत्र हनुमान का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल हनुमान जयंती 12 अप्रैल 2025 को मनाई जा रही है। प्रभु श्री राम के परम भक्त हनुमान जी को कलयुग का देवता माना जाता है। हनुमान जी की पूजा करने से जातकों को हर तरह के दुख-दर्द, रोग-दोष और भय से मुक्ति मिल जाती है। हनुमान जी सबसे अधिक बलवान होने के साथ-साथ बुद्धिमान थे। अपनी बुद्धिमत्ता के बल पर बड़े-बड़े शूरवीरों को मात दे देते थे। बजरंगबली जी के लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित है। ऐसे ही एक पौराणिक कथाएं काफी प्रचलित है जिसमें उन्होंने अपनी मां अंजना के आदेश को मनाने के लिए अपने प्रभु श्री राम को बुद्धिमत्ता के बल पर हरा दिया था। जानें इस पौराणिक कथा के बारे में, जो भगवान श्री राम का अश्वमेघ यज्ञ पूर्ण होने के बाद की है…
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ऋषि विश्वामित्र ने दिया आदेश
उत्तर रामायण के अनुसार, भगवान श्री राम ने अश्वमेघ यज्ञ पूर्ण होने के बाद एक बड़ी सभा का आयोजन किया था। जिसमें उन्होंने सभी देवताओं, ऋषि-मुनियों, किन्नरों, यक्षों से लेकर राजाओं को आमंत्रित किया। जब बड़ी सभा का आयोजन हुआ, तो एक राजा थे जिन्होंने नारद मुनि के कहने पर भरी सभा में सबको प्रणाम किया लेकिन ऋषि विश्वामित्र को नहीं किया। इस बात से ऋषि विश्वामित्र क्रोधित हो गए और श्री राम को आदेश दे डाला कि इस राजा का सूर्यास्त से पहले मृत्युदंड दे देंगे। अगर उन्होंने इस आदेश का पालन नहीं किया, तो वह उन्हें कोई शाप दे देंगे।
श्री राम ने लिया राजा के प्राण लेने का वचन
ऐसे में श्रीराम ने उस राजा को सूर्यास्त से पहले मारने का वचन ऋषि विश्वामित्र को दे दिया। जब राजा को इस प्रण के बारे में पता चला, तो वह अपनी जान बचाने के लिए भागा-भागा हनुमान जी की माता अंजनी की शरण में गया। जहां पर उस राजा ने मां अंजनी को बिना पूरी बात बताएं ही उनसे प्राण रक्षा का वचन मांग लिया। फिर मां अंजनी ने अपने पुत्र हनुमान जी से उस राजा की रक्षा करने का आदेश दे दिया। लेकिन जब हनुमान जी को पता चला कि उनके प्रभु श्री राम ने ही उसके प्राण लेने का वचन लिया है, तो वह काफी धर्म संकट में फंस गए।
हनुमान जी ने ऐसे की राजा की मदद
हनुमान जी सोचने लगे कि इस समय वह किसका साथ दें। एक तरफ मां अंजनी है, तो दूसरी ओर उनके प्रभु है। ऐसे में वह सोचने लगे कि आखिरी इस राजा के प्राण कैसे बचाएं और प्रभु श्री राम का भी प्रण न टूटे। ऐसे में उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए एक योजना बनाई।
उन्होंने राजा से कहा कि वह सरयू नदी के तट पर जाकर राम नाम का जाप करता रहें। इसके साथ ही उनकी रक्षा के लिए बजरंगबली भी सूक्ष्म रूप में उनके पास छिप गए। दूसरी ओर श्री राम भी उस राजा को ढूंढते-ढूंढते तट पर आ गए। लेकिन उन्होंने कि वह राजा उनके नाम का ही जाप कर रहा था।
हनुमान जी ने ऐसे की मां और श्री राम के प्रण की रक्षा
प्रभु श्रीराम ने सोचा कि ये तो भक्त है। ऐसे में इसके प्राण कैसे लें। ऐसे में वह वापस ऋषि विश्वामित्र के पास आएं और उन्हें अपनी पूरी दुविधा सुना डाली। लेकिन ऋषि विश्वामित्र अपनी बात में अडिग रहें। ऐसे में प्रभु श्री राम को समझ न आ रहा है कि वह ऋषि विश्वामित्र को दिए प्रण को पूरा करने के साथ अपने भक्त के प्राणों की रक्षा कैसे करें।
हनुमान जी इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि प्रभु राम का नाम जपते समय राजा को कोई नहीं मार सकता है। स्वयं प्रभु श्री राम भी नहीं … अब प्रभु श्री राम ने शक्ति बाण निकालकर राजा की ओर छोड़ दिया। लेकिन राजा के राम नाम का जाप करने से उस बाण का कोई असर ही नहीं हुआ। ऐसे में प्रभु राम असहाय होकर राजभवन लौट आएं। जब ऋषि विश्वामित्र ने उन्हें देखा, तो वह फिर से उन्हें शाप देने लगें। ऐसे में वह दोबारा तट पर गए।
राम नाम के आगे कुछ नहीं
अब हनुमान जी ने राजा को कहा कि वह जय जय सियाराम जय जय हनुमान गाएं। ऐसे में जब श्री राम ने उसे जप करते हुए देखा, तो उन्होंने सा कि मेरे नाम के साथ-साथ ये राजा शक्ति और भक्ति की जय बोल रहा है। ऐसे में तो इसका वध नहीं कर सकता है, क्योंकि इसके ऊपर कई अस्त्र-शस्त्र काम ही नहीं करेगा। ये सब सोचकर श्री राम मूर्छित हो गए। तब ऋषि वशिष्ठ ने ऋषि विश्वामित्र को सलाह दी कि वह राम को इस तरह संकट में न डालें, क्योंकि वह चाहकर भी राम नाम का जाप करने वाले का वध नहीं कर सकते हैं। फिर चाहे वह स्वयं श्री राम ही क्यों न हो। ऐसे में फिर ऋषि विश्वामित्र ने श्री राम को वचन से मुक्त किया।
वहीं दूसरी ओर जब हनुमान जी ने देखा कि अब राजा की जान बच गए हैं, तो वह सूक्ष्म से अपने आकार में आकर प्रभु श्री राम के चरणों में गिर गए। इसके साथ ही उन्होंने सब हाल कह डालें। इससे प्रभु श्री राम अति प्रसन्न हुए। इस प्रकार हनुमान जी ने राम नाम के बल पर स्वयं अपने प्रभु राम को हरा दिया था।
इस साल हनुमान जयंती का पर्व 12 अप्रैल को मनाया जा रहा है। इस दिन ग्रहों की स्थिति काफी अच्छी है, जिसके कारण पंचग्रही, लक्ष्मी नारायण, शुक्रादित्य से लेकर गजकेसरी राजयोग का निर्माण हो रहा है। ऐसे में 12 राशियों के जीवन में किसी न किसी तरह से प्रभाव अवश्य देखने को मिलने वाला है। लेकिन इन तीन राशियों को बंपर लाभ मिल सकता है। जानें इन राशियों के बारे में
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