लिखावट एक व्यक्ति के स्वभाव की परिचायक होती है। कई बार महसूस किया होगा कि जब हम अधिक परेशान होते हैं या दुनिया से कुछ छिपाने की कोशिश कर रहे होते हैं तो उसका असर लिखावट पर भी पड़ता है। ये बात हर कोई समझता है कि जल्दबाजी में लिखी गई कोई भी बात पर लिखावट बिगड़ जाती है। इसका उदाहरण परीक्षा की लिखावट को माना जा सकता है। इसी के साथ जब किसी खास मौके पर लिख रहे होते हैं तो अपने आप लिखावट घुमावदार और सुंदर हो जाती है।

लिखावट पर विशेषज्ञों का मानना है कि जिन लोगों की लिखावट छोटी होती है वो पढ़ाई में कुशल होते हैं और शर्मीले स्वभाव के माने जाते हैं। जिन लोगों की लिखावट बड़े शब्दों वाली होती है वो स्वभाव से बहुत ही मिलनसार माने जाते हैं। ये लोग प्रेम की तलाश करते रहते हैं। साथ ही इन्हें घूमने-फिरने का शौक होता है। जिन लोगों की लिखावट सामान्य होती है उनका स्वभाव भी सामान्य होता है वो ना अधिक अपेक्षाएं करते हैं और ना ही शिकायतें करना उनकी आदत होती है। लिखावट में शब्दों के बीच में जो लोग जगह छोड़ते हैं वो लोग आजादी पसंद होते हैं। उन्हें बंधनों में जाना पसंद नहीं होता है। साथ ही ये लोग भीड़भाड़ से दूर रहना पसंद करते हैं।

जो लोग शब्दों के बीच में जगह नहीं रखते हैं वो लोग अकेले रहने से डरते हैं। इनमें विश्वास की कमी होती है। इन्हें हमेशा अपने आस-पास भीड़ चाहिए होती है। जिन लोगों की लिखावट एक तरफ झुकी हुई होती है वो लोग अपनी सभी बातें बता देते हैं। इन लोगों को खुली किताब की तरह पढ़ा जा सकता है। ये लोग प्रतिभा के धनी माने जाते हैं। साथ ही जिन लोगों की लिखावट बाईं तरफ झुकी हुई होती है वो लोग अपनी बातें छुपा कर रखना ज्यादा पसंद करते हैं। जो लोग कलम दबा कर लिखते हैं उन लोगों का स्वभाव गंभीर माना जाता है और जो लोग खुले हाथ से लिखते हैं वो बहुत संवेदनशील होते हैं। इसके साथ ही वो दूसरे लोगों से बहुत जल्द प्रभावित हो जाते हैं।