Guru Purnima 2024: देशभर में गुरु पूर्णिमा का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हर साल आषाढ़ नमास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती रहै।इस साल गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई 2024, रविवार को मनाई जा रही है। यह एक ऐसा दिन है जब व्यक्ति अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है। श्री श्री रविशंकर जी कहते हैं कि गुरु हर एक व्यक्ति के जीवन में अहम होता है। गुरु सिर्फ उस व्यक्ति की भलाई और उसे सफलता की सीढ़ियों में चढ़ाने के अलावा कुछ नहीं करता है। वह आपके जीवन में सिर्फ ज्ञान ही नहीं भरता, बल्कि आपके जीवन को सही मोड़ पर ले जाने से लेकर एक जीवन शक्ति का संचार करता है। आइए जानते हैं गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी के कुछ विचारों के माध्यम से आखिर क्यों एक गुरु का होना बेहज जरूरी है।

भारतीय संस्कृति में गुरु और शिष्य परंपरा का विशेष महत्व है। ये परंपरा सदियों से ऐसे ही चली आ रही है। व्यक्ति के जीवन को सही मार्ग में ले जाने के लिए एक सही गुरु का होना बेहद जरूरी है। गुरु के बिना किसी भी व्यक्ति का कोई मूल्य नहीं है। हर एक शास्त्र में गुरु के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है।

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी कहते हैं कि गुरु तत्व हमारे जीवन में व्याप्त है। हमारी मां हमारी पहली गुरु है और फिर विज्ञान से लेकर अध्यात्म तक, जन्म से लेकर मृत्यु तक, गुरु तत्व हमारे जीवन में व्याप्त है। हर विधा के लिए एक गुरु होता है – एक धर्म गुरु (धार्मिक), एक कुल गुरु (परिवार), एक राज गुरु (राज्य के लिए गुरु), एक विद्या गुरु (किसी विशेष विधा के लिए गुरु) और एक सद्गुरु (आध्यात्मिक गुरु)।

गुरु आपको सिर्फ़ ज्ञान ही नहीं देता है, बल्कि वह आपके अंदर जीवन शक्ति को भी जगाने में मदद करता है। गुरु से लेकर विवेक तक जागृत करता है। वह ज्ञान से बुद्धि नहीं आती, लेकिन बुद्धि की अवस्था में ज्ञान अंतर्निहित होता है।

गुरु, आत्मा और ईष्ट में भेद न जानो।

गुरु के पास बैठते ही तुम्हारा मन, भाव और प्राण शुद्ध हो जाता है।

जो कुछ भी तुम्हारे लिए महत्वपूर्ण है, अंतरंग है, उसे गुरु के साथ बाँट लो, बता दो। संकोच मत करो !

तुम गुरु के साथ उनके आनन्द, उनकी चेतना के सहभागी हो।

गुरु के द्वार में प्रवेश करते ही तुम अपने आवास में आ जाते हो। तुम दुनिया को एक नये दृष्टिकोण से देखते हो।

गुरु की दृष्टि से देखो तो पूरा विश्व दिव्य दिखेगा।

एक बार जब गुरु तक पहुँच गये, तो खोज समाप्त हो जाती है, तुम खिलने लगते हो, तुम्हारा विकास आरम्भ हो जाता है।

जब तुम गुरु के अंश हो, तुम्हें खुश रहने का पूरा अधिकार है; ज्ञान, आनन्द और समस्त सृष्टि पर तुम्हारा पूरा अधिकार है!

तुम गुरु के साथ हो क्योंकि तुम गुरु के अपने हो।

गुरु शारीरिक रूप में अनंत प्रेम हैं।

गुरु एक तत्व है- एक सर्वव्यापी, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान तत्व। इस तत्व से संबंध स्थापित करना सबसे बड़ी शक्ति का स्रोत है।