Chandal Yog In Kundali: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में मौजूद नवग्रह का विशेष महत्व है। हर व्यक्ति की कुंडली में हरक एक ग्रह अलग-अलग भाव में मौजूद रहते हैं जिनका असर भी अलग-अलग होता है। सूर्य, शुक्र, गुरु सहित कुछ ऐसे ग्रह है, जो अगर शुभ स्थिति में है, तो काफी अच्छा असर देते हैं। वहीं अगर किसी ग्रह से मिलकर कोई शुभ या फिर अशुभ योग बना रहे हैं, तो उसका असर अलग होता है। ऐसे ही देवताओं के गुरु बृहस्पति जब राहु या फिर केतु के साथ युति करते हैं, तो एक तरह का विनाशकारी योग बनता है जिसे चाडांल योग कहा जाता है। माना जाता है कि यह योग काल सर्प दोष से भी ज्यादा खतरनाक है। जानिए किन संकेतों के द्वारा आप जान सकते हैं कि आपकी कुंडली में तो नहीं है गुरु चांडाल योग।

कैसे बनता है गुरु चांडाल दोष?

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गुरु चांडाल योग देवता गुरु और पाप ग्रह राहु की युति से बनता है। यह योग सबसे ज्यादा अनिष्टकारी माना जाता है। जिसका असर सकारात्मक नहीं बल्कि नकारात्मक सबसे अधिक होता है।

ऐसे पहचानें आपकी कुंडली में तो नहीं गुरु चांडाल योग

  • कुंडली में गुरु चांडाल योग बनने से पद-प्रतिष्ठा पर बुरा असर पड़ता है।
  • कई बार बार-बार कोई न कोई गलतियां करने लगते हैं, जिससे काफी नुकसान हो जाता है।
  • गुरु चांडाल योग में अगर राहु की स्थिति बलवान है, तो व्यक्ति गलत कामों को करना शुरू कर देता है। वह गलत संगत के साथ शराब पीना, जुआ खेलना आदि शुरू कर देता है।
  • अगर किसी छात्र की कुंडली में चांडाल योग बनता है, तो पढ़ाई से मन हट जाता है।
  • जीवन में सुख-शांति समाप्त हो जाती है। हर एक चीज में किसी न किसी तरह से समस्या आने लगती है।
  • आप कुछ भी कर रहे हैं, तो उसका नकारात्मक प्रभाव सबसे अधिक देखने को मिलता है।

 गुरु चांडाल योग से बचने के उपाय

  • गुरु चांडाल योग बनने पर राहु को शांत रखना बेहद जरूरी है। इसलिए राहु संबंधी मंत्रों का जाप करना लाभकारी सिद्ध हो सकता है। ऐसे में आप चाहे, तो ऊं राहु रां राहवे नम: मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  • गुरु  गुरु चांडाल के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए नियमित रूप से केले का पूजन करें।
  • रोजाना हल्दी और चंदन का तिलक लगाना भी शुभ होगा।
  • गुरु चांडाल योग के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए पक्षियों को दाना खिलाना चाहिए। इसके साथ ही खूब दान-पुण्य करना चाहिए।