आज(21 अगस्त) को साल 2017 का दूसरा बड़ा सूर्य ग्रहण लग रहा है। सूर्य ग्रहण भारतीय समय के मुताबिक रात में 9.15 बजे शुरू होगा और 22 अगस्त को सुबह 2.34 बजे खत्म होगा। सूर्य ग्रहण को घर बैठकर आप लाइव भी देख सकते हैं। लेकिन यह संभव हुआ है आज की तकनीक की वजह से। एक समय ऐसा भी था जब सूर्य ग्रहण की तस्वीर भी क्लिक नहीं की गई थी। क्या आपको पता है कि सूर्य ग्रहण की तस्वीर पहली बार कब और किसने ली थी।

साल 1851 में पहली बार सूर्य ग्रहण की तस्वीर ली गई थी। उस वक्त फोटोग्राफी शुरुआती दौर में थी। तस्वीरें क्लिक करने के लिए उस वक्त देग्युरोटाइप नाम की तकनीक का इस्तेमाल होता था। इसी के जरिए तस्वीरें क्लिक की जाती थीं। खगोल शास्त्री उस वक्त चाहते थे कि वे पूरे सूर्य ग्रहण को अपने कैमरे में कैद कर लें, जिससे वे सूर्य के बारे में अध्ययन कर सकें। लेकिन देग्युरोटाइप तकनीक से सूर्य ग्रहण को कैमरे में कैद करना थोड़ा मुश्किल काम था।

इस तकनीक से तस्वीर की क्वालिटी ठीक नहीं आती थी। सूर्य ग्रहण को कई बार कैमरे में कैद करने की कोशिश की गई, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। पहली बार 28 जुलाई 1851 को सूर्य ग्रहण को कैमरे में कैद करने में कामयाबी मिली। उस वक्त रॉयल प्रेशियन वेधशाला ने सूर्य ग्रहण को कैमरे में कैद करने की ठानी। इसके लिए उन्होंने इसका जिम्मा देग्युरोटाइपिस्ट जोहान जूलियस फ्रेडरिक बर्कॉव्स्की दिया। वे अपनी पूरी टीम के साथ इस काम में जुट गए। सूर्य ग्रहण को कैमरे में कैद करते वक्त खगोल शास्त्रियों की पूरी टीम उनके साथ थी। उन्होंने वेधशाला के छोटे से टेलिस्कॉप के जरिए अपने कैमरे में सूर्य ग्रहण को कैद कर लिया। इस तकनीक के जरिए उन्होंने सूर्य क्रॉनो की दहकती हुई एक तस्वीर क्लिक कर ली। इस तस्वीर के जरिए चांद के धब्बों के पांच सौर प्रमुखों का खुलासा हुआ।