ज्योतिष शास्त्र अनुसार रत्नों का प्रयोग केवल आभूषण की चमक बढ़ाने के लिए ही नहीं, अपितु अपने भाग्य की चमक बढ़ाने में भी कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र की मानें नीलम रत्न बड़ी तेजी से अपना प्रभाव दिखाता है। अगर इसका शुभ प्रभाव हुआ तो इसका असर दिखने लगता है। लेकिन अगर ये सूट नहीं कर रहा है तो आपको बुरा परिणाम भी तुरंत दिखने लगेगा। इसलिए ये रत्न पहनने से पहले ज्योतिषीय सलाह जरूर लें। यहां आप जानेंगे इस रत्न से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां…
नीलम की पहचान कैसे करें? नीलम को नीलाष्म, नीलरत्न अथवा शनि प्रिय भी कहा जाता है। इसका अंग्रेजी नाम ब्लू सफायर (Blue Sapphire) है। नीलम पहनते समय इस बात का ध्यान रखें कि हमेशा उत्तम क्वालिटी का ही नीलम पहनें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति के ग्रह गोचर हेतु इंद्रनील, आकाश समान नीले रंग के नीलम का प्रयोग करना चाहिए। आमतौर पर यह गुलाबी, नारंगी, पीला, बैंगनी आदि रंगों में भी पाया जाता है। अगर नीलम असली है तो इसे दूध के बर्तन में रखने के बाद दूध का रंग नीला दिखाई देने लगता है। इस रत्न को पानी के गिलास में रखने के बाद पानी में से किरणें निकलती दिखाई देती हैं। इस रत्न को खरीदते समय ये भी ध्यान दें कि असली नीलम के अन्दर ध्यान से देखने पर दो परत दिखाई देती है। ये दोनों परत एक-दूसरे के सामान्तर होती है।
शनि का रत्न है नीलम: नीलम शनि का रत्न माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जिस प्रकार शनिदेव किसी जातक के लिए शुभ तो किसी के लिए अशुभ होते हैं, उसी प्रकार नीलम लंबे तक किसी के लिए शुभ तो किसी के ऊपर अपने अशुभ प्रभाव दर्शाता है। कहा जाता है कि जिस प्रकार शनि के शुभ अथवा अशुभ प्रभाव व्यक्ति के जीवन में लंबे समय तक प्रभावी रहते हैं, उसी प्रकार नीलम के चमत्कारी प्रभाव व्यक्ति के जीवन में लंबे समय तक विद्यमान रहते हैं।
नीलम रत्न को धारण करने की विधि: नीलम धारण करने हेतु 3 से 6 कैरेट के नीलम रत्न को स्वर्ण या पंचधातु की अंगूठी में जड़वाना चाहिए। तत्पश्चात उचित शुभ मुहूर्त अनुसार किसी शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को सुर्योदय के पश्चात स्नान कर अंगूठी का शुद्धिकरण करें। इसके लिए गंगा जल, दूध, केसर और शहद के घोल में अंगूठी को 15 से 20 मिनट तक रख दें और शनि देव की आराधना करें। अब अंगूठी को घोल से निकाल कर गंगा जल से धो ले।
नीलम धारण करने के लाभ: नीलम काली विद्या, तंत्र-मंत्र, जादू-टोना, भूत प्रेत आदि से बचाता करता है। इसके अलावा नीलम धारण करने से जातक की कार्य क्षमता बढ़ती है। साथ ही नीलम का प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव में सौम्यता लाता है। जबकि नीलम रत्न व्यक्ति को उन्नति के शिखर की ओर ले जाता है एवं घर में समृद्धि खुशहाली बनाए रखने का कार्य करता है। वहीं शनि की दृष्टि एवं साढ़ेसाती से नीलम हमें बचाता है, साथ ही जिनपर शनि की साढ़ेसाती अथवा शनि की ढैया का प्रभाव हो उन्हें नीलम धारण करने से लाभ मिलता है।