ज्योतिष शास्त्र में कुल 9 ग्रहों का अध्ययन किया जाता है। अगर किसी जातक की कुंडली में कोई ग्रह मजबूत स्थिति में नहीं है, तो इसके लिए ज्योतिषाचार्य राशि और ग्रह अनुसार उन्हें रत्न धारण करने की सलाह देते हैं। जानकारों की मानें तो कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति को मजबूत करने के लिए पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है। बता दें कि गुरु ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में ज्ञान, धन और मान-सम्मान प्रदान करने वाला ग्रह माना जाता है। अगर किसी जातक की कुंडली में यह ग्रह कमजोर हो जाए तो उसे कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पुखराज के फायदे: गुरु ग्रह का रत्न होने के कारण पुखराज धारण करने से व्यक्ति के धन और भाग्य में वृद्धि होती है। जिन लोगों को विवाह में परेशानी आ रही है, उन्हें भी यह रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। मान्यता है कि पुखराज रत्न धारण करने से व्यापार में वृद्धि होती है औक इसे पहनने से शिक्षा संबंधित क्षेत्रों में भी उन्नति मिलने की संभावना रहती है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले वैवाहिक जातकों के लिए भी ये रत्न बेहद ही लाभकारी माना जाता है।
कौन कर सकता है पुखराज धारण: बता दें कि पुखराज रत्न हर किसी को सूट नहीं करता। रत्न हमेशा अपनी राशि व ग्रहों की स्थिति को देखकर ही धारण करना चाहिए। क्योंकि अगर यह रत्न सूट न करे तो इसके कारण नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार धनु और मीन राशि के जातक इस रत्न को ज्योतिषाचार्यों की सलाह पर धारण कर सकते हैं। मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक राशि के जातक भी पुखराज धारण कर सकते हैं। हालांकि, वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ राशि वालों को पुखराज धारण नहीं करना चाहिए।
पुखराज धारण करने की विधि: पुखराज रत्न धारण करने वाले जातकों को बुधवार और गुरुवार के दिन शराब और नॉनवेज आदि का बिल्कुल भी सेवन नहीं करना चाहिए। इस बात का जरूर ध्यान रखें की पुखराज रत्न सूर्योदय से लेकर सुबह 10 बजे तक के बीच में ही धारण कर लेना चाहिए।
इस रत्न को धारण करने के लिए बुधवार की सुबह स्नानादि से निवृत होकर रत्न को गंगाजल में दूध मिलाकर डाल दें। फिर इसे गुरुवार के दिन ऊं बृं बृहस्पते नमः की कम से कम एक माला जाप करके हाथ की तर्जनी अंगुली में धारण कर लें।