Geeta Jayanti 2023: हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन गीता जयंती मनाई जाती है। माना जाता है कि महाभारत में कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिए थे, जिससे गीता का जन्म हुआ था। इसी के कारण इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाई जाती है। इस साल गीता जयंती का पर्व 22 दिसंबर 2023 को मनाया जा रहा है। मान्यता है कि इस दिन गीता का पाठ करने से व्यक्ति को हर कष्टों से निजात मिल जाती है और सही पथ पर अग्रसर होते हैं। लेकिन क्या आप ये बात जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से पहले भी किसी को गीता के उपदेश दिए थे। आइए जानते हैं भगवान श्री कृष्ण ने सबसे पहले किसे दिया था गीता के उपदेश…
श्री कृष्ण ने सूर्य देव को दिया था गीता के उपदेश
गीता के एक अध्याय में स्वयं श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि मैंने इस अनिवाशी कर्मयोग के बार में तुमसे पहले भगवान सूर्य को बताया है। इसके बाद सूर्य ने अपने पुत्र वैवस्वत मनु से कहा और मनु ने अपने पुत्र इक्काश्रु को बताया था। इसके साथ ही सूर्य के दूसरे पुत्र यमराज से नचिकेता ने कर्मयोग की शिक्षा प्राप्त की थी। ऐसे में यह कह सकते हैं कि कर्मयोग की परंपरा सदियों से ऐसे ही चली आ रही है। इसके बाद राजा जनक और संत महात्मा ने इन कर्मयोग पर सिद्धि प्राप्त की। लेकिन समय के साथ यह लुप्त हो गई। इसके बाद मैंने तुम्हें ये उपदेश दोबारा सुना रहा हूं।
इस बात को सुनकर अर्जुन आश्चर्यचकित होकर श्री कृष्ण से कहते हैं कि भगवान सूर्य का जन्म मेरे जन्म के बहुत पहले हो गया था। ऐसे में मैं कैसे मान लूं कि आपने उन्हें उपदेश दिया था।
इस सवाल का जवाब देते हुए श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन मेरे अनेक जन्म हुए हैं और तेरे भी अनेक जन्म हुए हैं। लेकिन हम दोनों के बीच एक ही अंतर है कि मुझे हर एक जन्म के बारे में सब कुछ याद है लेकिन तुम अपने किसी जन्म के बारे में नहीं जानते हो।
श्री कृष्ण ने भगवान सूर्य को क्यों दिया था उपदेश?
बता दें कि जब सृष्टि का संचार हो रहा था, तो सबसे पहले भगवान सूर्य की उत्पत्ति हुई और फिर उन्होंने पूरा लोक बनाया। इसी के कारण उन्हें ‘सविता’ यानी उत्पन्न करने वाला कहा जाता है। इसलिए भगवान श्री कृष्ण से सूर्यदेव को सबसे पहले कर्मयोग का उपदेश दिया था। इससे वह पूरे संसार में इन बिना किसी मतभेद के बांटते हैं।
डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।