Gajkesari Rajyog: वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति के जन्म के साथ ही उसका भविष्य का काफी हद तक निर्धारण हो जाता है, क्योंकि जन्म के समय उसकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति के साथ-साथ कई राजयोगों का निर्माण होता है, जो उसे वर्तमान और भविष्य में काफी अधिक फर्क डालता है। वेद पुराणों में कई राजयोगों के बारे में बताया गया है, जो जातक को रंक से राजा बनाने से लेकर अतुलनीय यश, धन, वैभव देता है। इन्हीं में से एक राजयोग है गजकेसरी राजयोग। ये राजयोग गुरु बृहस्पति और चंद्रमा की खास स्थिति के कारण बनता है। आइए जानते हैं आपकी कुंडली में बना गजकेसरी राजयोग आपके जीवन में कैसे प्रभाव डालता है…
चंद्रमा और गुरु के संबंध से बना गजकेसरी राजयोग
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गजकेसरी राजयोग का मतलब है। हाथी के ऊपर सवार सिंह। ऐसे में जब इस राजयोग का निर्माण होता है, तो जातक बलवान, निडर, साहसी, शक्तिशाली होता है। ऐसे में धन के कारक गुरु और मन के कारण चंद्रमा की युति या कुछ विशेष प्रभाव पर इस राजयोग का निर्माण होता है।
कैसे बनता है गजकेसरी योग?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,देवताओं के गुरु बृहस्पति और मन के कारक चंद्रमा की किसी न किसी राशि में जिस भाव में युति होती है, तो गजकेसरी योग का निर्माण होता है। अगर केंद्र स्थान यानी लग्न,चौथे और दसवें भाव में गुरु के साथ-साथ चंद्र की युति होती है, तो इस योग का निर्माण होता है। इसके अलावा अगर चंद्रमा गुरु से केंद्र में हो या फिर चंद्र पर गुरु की कोई एक दृष्टि जा रही हो तो यह योग बनेगा। इसके साथ ही गुरु बृहस्पति अपनी उच्च राशि में चंद्र के साथ हो या चंद्र उच्च राशि में गुरु के साथ हो, तो गजकेसरी राजयोग का निर्माण होता है।
गजकेसरी योग में जन्मे जातक
अगर किसी जातक की जन्म कुंडली में पैदा होते समय इस राजयोग का निर्माण होता है, तो वह जातक कुशल वक्त होने के साथ राजा के सामान सुख पाने के साथ उच्च पद में आसीन होता है। ऐसे जातकों के ऊपर गणेश जी की विशेष कृपा होती है जिसके कारण ये समाज में खूब मान-सम्मान पाते हैं। इसके साथ ही ये काफी बुद्धिमान, फुर्तीले, साहसी होने के साथ हर काम में सफलता पाने का जुनून होता है।
गजकेसरी राजयोग बनने के लाभ
- अगर किसी जातक के पहले घर में इस शक्तिशाली राजयोग का निर्माण होता है, तो वह व्यक्ति पद-प्रतिष्ठा के साथ अच्छा स्वास्थ्य पाता है।
- अगर किसी जातक के चौथे घर में इस राजयोग का निर्माण होता है, तो वह व्यक्ति राजा, मंत्री या फिर विद्वान के साथ जीवन जीता है और हर एक भौतिक सुख की प्राप्ति होती है।
- अगर किसी कुंडली के 7वें घर में गुरु-चंद्रमा की युति होती है, तो वह व्यक्ति कुशल, व्यापारी होने के साथ अमीर बनता है।
- अगर किसी जातक की जन्म कुंडली में ये योग 9 वें भाव में बन रहा है, तो इस जातक को भाग्य का पूरा साथ मिलता है। इसके साथ ही अध्यात्म से अधिक जुड़ा होता है।
- जन्म कुंडली के 10वें भाव में इस राजयोग का निर्माण होता है, तो करियर में उछला आने के साथ उच्च पद पाता है और आर्थिक स्थिति भी अच्छी रहती है।
- कुंडली के 11वें घर में गजकेसरी राजयोग का निर्माण होने से जातक शक्तिशाली लोगों के संपर्क में रहता है। इसके साथ ही खूब पैसा कमाने के साथ सरकारी अधिकारियों, राजनेताओं से अच्छे संबंध होते हैं।
- अगर जन्म कुंडली के 12वें भाव में इस राजयोग का निर्माण हो रहा है, तो जातक को विदेश सुख की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही मध्यम आयु में तपस्वी जीवन जीने लगता है। उसका व्यवहार पवित्र, बुद्धिमान और संन्यासी वाला होता है।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, करीब 30 साल बाद न्याय के देवता शनि मीन राशि में प्रवेश किया है। करीब ढाई साल के दौरान वह अपनी स्थिति में किसी न किसी तरह से बदलाव करते रहेंगे, जिसका असर 12 राशियों के साथ-साथ देश-दुनिया में पर देखने को मिलने वाला है। बता दें कि शनि जुलाई माह में मीन राशि में वक्री हो जाएंगे। ऐसे में इन तीन राशियों को बंपर लाभ मिल सकता है। आइए जानते है इन लकी राशियों के बारे में
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